रेलवे ने अदालत में जमा करवाई मुआवजा राशि

Edited By ,Updated: 28 Apr, 2015 12:07 AM

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आखिरकार रेलवे विभाग ने मुआवजे की राशि जिला एवं सत्र न्यायाधीश ऊना मुकेश बंसल की अदालत में जमा करवा दी है। रेलवे विभाग ने अपनी संपत्ति को बचाने के लिए यह निर्णय लिया है।

ऊना : आखिरकार रेलवे विभाग ने मुआवजे की राशि जिला एवं सत्र न्यायाधीश ऊना मुकेश बंसल की अदालत में जमा करवा दी है। रेलवे विभाग ने अपनी संपत्ति को बचाने के लिए यह निर्णय लिया है। रेलवे विभाग की तरफ से अदालत में केस की पैरवी कर रहे एडवोकेट एमएल शर्मा ने इसकी पुष्टि की है कि अदालत द्वारा तय की गई मुआवजे की राशि को सोमवार को अदालत में जमा करवा दिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले यह राशि रजिस्ट्रार हाईकोर्ट शिमला के नाम पर ड्राफ्ट के जरिए जमा करवाई गई थी लेकिन अदालत ने इसे ट्रायल कोर्ट में ही जमा करवाने के निर्देश दिए थे जिसके बाद रेलवे विभाग ने इस राशि को कोर्ट में जमा करवा दिया है।

राशि जमा करवाने के साथ ही रेल विभाग ने रेलवे स्टेशन और परिसंपत्ति को अटैच होने से बचाने के लिए कदम उठाए हैं। हालांकि इस मामले में सुनवाई 2 मई को होगी और अदालत उस दिन ही इस संबंध में सुनवाई करेगी। रेलवे विभाग ने 2 बैंक ड्राफ्ट की प्रतिलिपियां देकर ऊना से दिल्ली जाने वाली जनशताब्दी रेलगाड़ी को जब्त होने से बचाया था। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ऊना मुकेश बंसल की अदालत ने रेलवे विभाग को अपनी चल-अचल संपत्ति की फेहरिस्त अदालत को सौंपने के निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने इस मामले की सुनवाई आगामी 2 मई को निर्धारित की है।

रेलवे ने ऊना-अम्ब ट्रैक बनाने के लिए 1998 में भूमि अधिगृहीत की थी। इसमें मेला राम का 8,91,424 जबकि मदन लाल का 26,53,814 रुपए मुआवजा बनता था। रेलवे की तरफ से इस मुआवजे की अदायगी नहीं की गई थी जिस पर 16 दिसम्बर, 2011 को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने मुआवजे के आदेश दिए थे। रेलवे ने इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की। इस पर 6 महीने के लिए स्टे ऑर्डर प्राप्त हुए थे।

मेला राम व मदन लाल ने एग्जीक्यूशन के लिए फिर से अदालत में केस किया जिस पर अदालत ने रेलवे विभाग से उनकी संपत्तियों का ब्यौरा मांगा। रेलवे विभाग ने संपत्तियों के रूप में कुछ ट्रेनें अदालत को बताईं और अदालत ने 9 अप्रैल, 2015 को मुआवजे के रूप में जनशताब्दी ट्रेन को अटैच करने के निर्देश सुनाए थे तथा 16 अप्रैल तक रिपोर्ट करने को कहा था। 16 अप्रैल को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुकेश बंसल की अदालत के फैसले की प्रतियां लेकर बैलिफ रेलवे स्टेशन पर पहुंचे थे।

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