Edited By ,Updated: 03 May, 2015 09:19 AM
जीवन की समाप्ति के साथ सभी दान, यज्ञ, होम, बलिक्रिया आदि नष्ट हो जाते हैं किंतु श्रेष्ठ सुपात्र को दिया गया दान और सभी प्राणियों पर.....
क्षीयन्ते सर्वदानानि यज्ञहोमबलिक्रिया:।
न क्षीयते पात्रदानमभयं सर्वदेहिनाम्।।
अर्थ : जीवन की समाप्ति के साथ सभी दान, यज्ञ, होम, बलिक्रिया आदि नष्ट हो जाते हैं किंतु श्रेष्ठ सुपात्र को दिया गया दान और सभी प्राणियों पर अभयदान अर्थात दयादान कभी नष्ट नहीं होता । उसका फल अमर होता है, सनातन होता है ।। 14।।
भावार्थ : अत: सुपात्र को ही दान देना चाहिए और सभी जीवों पर दया करनी चाहिए। उनकी हत्या नहीं करनी चाहिए । ये दोनों दान कभी नष्ट नहीं होते इसीलिए इन्हें सर्वश्रेष्ठ दान कहा गया है ।