NGT के फैसले से प्रभावित होगी डीजल वाहनों की बिक्री : सरकार

Edited By ,Updated: 05 May, 2015 05:27 PM

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सरकार ने आज स्वीकार किया है कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के फैसले से देश में डीजल वाहनों की बिक्री प्रभावित होगी।

नई दिल्लीः सरकार ने आज स्वीकार किया है कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के फैसले से देश में डीजल वाहनों की बिक्री प्रभावित होगी। भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री जी.एम. सिद्देश्वर ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा (एनजीटी के फैसले से) डीजल वाहनों के उत्पादन और बिक्री पर असर के आँकलन के लिए यह काफी जल्दबाजी होगी। 

हालांकि, देश में डीजल वाहनों की बिक्री पर इसका नकारात्मक असर होने की संभावना है।’’ उल्लेखनीय है कि एनजीटी ने इस साल 07 अप्रैल को दिल्ली तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 10 साल से पुराने डीजल वाहनों को क्रमश: समाप्त करने का निर्देश दिया था। 13 अप्रैल को एनजीटी ने सरकार को इस आदेश को लागू कराने के लिए 15 दिन का समय दिया तथा 30 अप्रैल को उसने इस समय सीमा को 18 मई तक बढ़ा दिया। 
 
ऑटो वाहन निर्माताओं के संगठन सियाम के महानिदेशक विष्णु माथुर ने इस विषय पर ‘यूनीवार्ता’ को प्रतिक्रिया देते हुए सरकार की इस राय से सहमति जताई कि अभी से यह नहीं कहा जा सकता कि इससे डीजल वाहनों की बिक्री कितनी कम होगी। हालांकि उन्होंने माना कि एनजीटी के फैसले से डीजल वाहनों के प्रति ग्राहकों की धारणा नकारात्मक हुई है।  
 
माथुर ने कहा कि आम तौर पर वाहनों की लाइफ 15 साल मानी जाती है। इसे सीधे एक तिहाई कम कर देने का मतलब होगा ग्राहक का नुकसान क्योंकि 10 साल बाद इन वाहनों को दुबारा बेचने का विकल्प भी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि वाहनों की खरीद के समय 15 साल का रोड टैक्स देना होता है और हो सकता है कि इस मसले को लेकर कोई जनहित याचिका भी दायर हो जाए।
 
माथुर ने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों का योगदान काफी कम है और इसलिए सिर्फ वाहनों को निशाना बनाने के बदले दूसरे कारकों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के महानगरों में दिल्ली में सड़क और वाहनों का अनुपात सबसे कम है। यहां प्रति किलोमीटर 245 वाहन हैं जबकि चेन्नई में दो हजार वाहन प्रति किलोमीटर हैं। इसके बावजूद चेन्नई में पीएम-2.5 का स्तर सिर्फ 20 है जबकि दिल्ली में यह स्तर 200 है। इससे साफ है कि प्रदूषण के पीछे और कारण हैं जिन्हें नियंत्रित करने की जरूरत है अन्यथा यहाँ की हवा की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं होगा। 
 

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