निर्धन के घर में जन्म लेकर भी करोड़पति बना देते हैं ऐसे योग

Edited By ,Updated: 06 May, 2015 10:27 AM

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मेष : लग्र में द्वितीय भाव में मंगल, गुरु व शुक्र का संबंध व्यक्ति को श्रेष्ठ व्यापारी बनाकर संघर्ष और

मेष : लग्र में द्वितीय भाव में मंगल, गुरु व शुक्र का संबंध व्यक्ति को श्रेष्ठ व्यापारी बनाकर संघर्ष और उतार-चढ़ाव के बाद धनपति बनाएगा। शनि-शुक्र का धन तथा लाभ (2-11) भाव में राशि परिवर्तन योग धनवान बनाने में समर्थ होगा।

वृष : लग्र-बुध-गुरु (लाभेश-धनेश) एक साथ बैठे हों तथा मंगल से दृष्ट हों तो श्रेष्ठतम धन योग होता है।

मिथुन : चंद्र, मंगल तथा शुक्र दूसरे भाव में हो तो शुक्र की महादशा में व्यक्ति अतुल धनी होगा तथा आकस्मिक धन लाभ होगा। तृतीय भाव में बुध-सूर्य की युति हो तो, बुध की महादशा में श्रेष्ठ धनागमन योग होगा। शनि नवम में तथा चंद्र- मंगल एकादश भाव में हों तो व्यक्ति गरीब के घर जन्म लेकर भी धनपति होगा। 

कर्क : चंद्र, मंगल तथा गुरु दूसरे भाव में, शुक्र-सूर्य पांचवें भाव में हों तो निर्धन के घर में जन्म लेकर भी करोड़पति होगा। दशम भाव में सूर्य-मंगल की युति हो तो मंगल की महादशा धन कुबेर बना देगी।

सिंह : लग्र में सूर्य-मंगल-गुरु अथवा सूर्य-मंगल-बुध की युति प्रबल धनदायक होगी परंतु शुक्र-गुरु एक साथ बैठकर कंगाल बनाएंगे, यदि साथ में बुध और बैठ जाए तो अत्यंत धनहानि होगी।

कन्या : केतु-शुक्र दूसरे भाव में धनवान बनाएंगे, आकस्मिक धन लाभ होगा। सूर्य के साथ चंद्र या शुक्र हो तो सूर्य की दशा में विशेष धनलाभ होगा परंतु शुक्र के अस्त होने पर शुक्र की महादशा दिवालिया बना सकती है।

तुला : लग्र में सूर्य-चंद्र तथा नौवें भाव में राहु आकस्मिक रूप से श्रेष्ठ धनदायक होंगे। शनि लग्र तथा पंचम में हो तथा मंगल एकादश भाव में अटूट धन-संपत्ति देने में समर्थ होगा। इससे गरीबी से छुटकारा मिलेगा।

वृश्चिक : लग्र में बुध-गुरु साथ अथवा सम सप्तक हों तो श्रेष्ठ धनी बनाएगा परंतु स्वभाव कंजूस होगा। सूर्य-बुध-शुक्र सप्तम भाव में हों तो बुध की महादशा में धनागमन। बुध-गुरु पंचम तथा चंद्र ग्यारहवें भाव में हो तो करोड़पति बनाएगा परंतु तृतीयस्थ गुरु-शुक्र पुत्रों द्वारा धन नाश कराएंगे।

धनु : ग्यारहवें भाव में शनि हो तो शनि की महादशा आर्थिक दृष्टि से श्रेष्ठ परंतु नवम भाव में मंगल हो तो संतान द्वारा धन का अपव्यय होगा।

मकर : लग्र में मंगल तथा सप्तम में चंद्र अत्यंत धनकारक। यदि बुध-शनि भाग्य स्थान में हों तो निर्धन के घर जन्म लेकर भी धनी बनेगा। पैसे का अभाव उसे कभी नहीं खलेगा।

कुंभ : दूसरे में गुरु तथा ग्यारहवें भाव में शुक्र हो तो अत्यंत धनवान होगा। गुरु नवम में तथा शुक्र दूसरे या दशम स्थान में हो तथा शनि की दृष्टि भी शुक्र पर हो तो साधारण परिवार में जन्मा व्यक्ति भी धनपति होता है। शनि-शुक्र 11वें भाव में हों तो शुक्र दशा अत्यंत धनदायक। परंतु सूर्य-मंगल अष्टम में हों तो इन दोनों की दशाएं दरिद्रता देने वाली तथा घोर कष्टदायक होंगी।

मीन : आपको ग्यारहवें भाव का मंगल आकस्मिक धन दिलाएगा लेकिन साथ ही पंचम भाव का मंगल स्त्री अथवा उसके भाइयों से धन हानि कराएगा। गुरु त्रिकोण में तथा मंगल 11वें भाव में महालक्ष्मी योग बनाएगा।  

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