Edited By ,Updated: 06 May, 2015 10:54 AM
* दुख में साथ देने वाला ईश्वर होता है, सुख में साथ देने वाला मनुष्य।
* प्रत्येक कार्य के
* दुख में साथ देने वाला ईश्वर होता है, सुख में साथ देने वाला मनुष्य।
* प्रत्येक कार्य के प्रारंभ में भगवान का स्मरण करो।
* धीरे-धीरे मृत्यु की तैयारी करो और प्रत्येक क्षण ईश्वर का चिंतन करो।
* भगवान हृदय में प्रकट हों तो मनुष्य भूख-प्यास भूल जाता है।
* आंख और कान दोनों को पवित्र रखो।
* भूख-प्यास को सहन करने की आदत डालो।
* संध्या करने से बुद्धि तेजस्वी होती है।
* पापी प्राणी प्रेत बनता है, उसकी मुक्ति नहीं होती।
* कथा सुनो, मनन करो एवं उसे जीवन में उतारो।
* अच्छे काम शीघ्राति-शीघ्र करो, उसे स्थगित मत करो।
* वंदन सभी देवों को कीजिए, किंतु ध्यान एक ही देव का करें।
*अपना सर्वस्व भगवान को अर्पण कर दो।
* मत्सर मनुष्यों का बड़ा शत्रु है।
* स्त्री, धन और बालक ये तपस्या में बाधक हैं।
—प्रस्तुति : देवेन्द्र भूपेश जैन, लुधियाना