मुलायम का कुनबा बिखरा, भाजपा की राह साफ!

Edited By ,Updated: 13 May, 2015 02:57 PM

article

जनता परिवार के विलय को बिहार चुनाव के मद्देनजर अग्निपरीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है। जनता परिवार में शामिल 6 दलों के नेताओं में सहमति अभी तक नहीं...

नई दिल्ली: जनता परिवार के विलय को बिहार चुनाव के मद्देनजर अग्निपरीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है। जनता परिवार में शामिल 6 दलों के नेताओं में सहमति अभी तक नहीं बन पाई है, लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा लगातार आश्वासन दिया जा रहा है कि जनता परिवार का विलय निशिचत तौर पर होगा और सही समय आने पर होगा। लोगों के जनता परिवार पर उंगली उठाने पर नीतीश ने यहां तक कह दिया कि, 'माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होए।' हाल ही में पटना में आयोजित 'जनता दरबार में मुख्यमंत्री' कार्यक्रम के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में नीतीश ने कहा, "महाविलय का अभी सही समय नहीं आया है। सभी दलों का मन मिल गया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को अध्यक्ष मान लिया गया है।" उन्होंने आगे कहा, "विलय की बात सकारात्मक तरीके से चल रही है। धैर्य रखने की जरूरत है। दलों में दोस्ताना रिश्ता बन चुका है।
 
जनता परिवार के महाविलय की अटकलें उस समय समाप्त हो गईं जब समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने बिहार के लिए राजद और जदयू को अलग-अलग चुनाव लडऩे की नसीहत दे डाली। ऐसे में रामगोपाल यादव के इस बयान के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। उधर विरोधियों का कहना है कि जनता परिवार का एक साथ आना सिर्फ एक सपना है। रामगोपाल यादव ने कहा है कि बिहार एसेंबली चुनाव से पहले संभव नहीं लगता क्योंकि इसमें टेक्नीकेलिटीज बहुत हैं। इसलिए मेरे विचार से जेडीयू और आरजेडी को अपने चुनाव चिन्ह बचाते हुए सीट के समझौता करके चुनाव में जाना चाहिए और चुनाव के बाद रीयूनियन पर चर्चा हो सकती है।
 
दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी का सफाया करने के लिए राजनीति की जंग में उतरे जनता परिवार में आपसी कलह का दौरा शुरू हो गया है। वहीं एसपी के सांसद रामगोपाल यादव का बयान दो मामलों में अहम हो जाता है। यादव का ये बयान इस बात का संकेत है कि गठजोड़ कामयाब होने का दावा अभी खोखला है। इधर जेडीयू नेता शरद यादव भरोसा नहीं दिला पा रहे हैं कि बिहार चुनाव से पहले जनता पार्टी के बिखरे सदस्य एक छतरी के नीचे आ पायेंगे या नहीं।
 
जनता परिवार द्वारा 15 अप्रैल को आयोजिक एक मीटिंग में औपचारिक ऐलान के बाद सात सदस्यीय कमेटी को जिम्मा दिया गया था कि नई पार्टी का नाम, चुनाव चिन्ह और झंडा तय करें। अब रामगोपाल यादव ने इस ओर इशारा किया है कि ये सब बिहार चुनाव से पहले तय करना संभव नहीं है। खुद इस जनता परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव स्पष्ट रूप से इस मामले में बोलने को तैयार नहीं हैं। रही बात बाकी सहयोगी दलों की तो उनकी भी अपनी अलग राय है ऐसे में मुलायम सिंह का कुनबा एक एक करने पूरी तरह से बिखरता नजर आ रहा है। 
 
जनता परिवार के नेताओं की अलग अलग राय और पार्टी विलय में बिखराव के बीच सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को मिलता नजर आ रहा है। राजनीति के जानकारों का मानना था कि अगर बिहार चुनाव से पहले जनता परिवार का महाविलय हो जाता है और जनता परिवार एक ही चुनाव पर लडऩे का ऐलान कर देती है तो राज्य में बीजेपी की राह आसान नहीं होगी। जनता परिवार का विलय बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी बाधा थी जो अब साफ होती नजर आ रही। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!