सात जन्मों तक नरक से बचने के लिए यहां पितरों के नाम पर करें कुछ खास

Edited By ,Updated: 18 May, 2015 09:42 AM

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आज सोमवती अमावस्या होने के कारण जिन जातकों की जन्मपत्री में सूर्य-शनि की युति या दृष्टि होने तथा जन्मपत्री के द्वितीय, पंचम या नवम भाव में राहु विराजमान हो,

आज सोमवती अमावस्या होने के कारण जिन जातकों की जन्मपत्री में सूर्य-शनि की युति या दृष्टि होने तथा जन्मपत्री के द्वितीय, पंचम या नवम भाव में राहु विराजमान हो, वे पितर दोष से पीड़ित होते हैं। भू्रण हत्या करने वाले, ब्राह्मण की हत्या, विधवा, विकलांग, अनाथ की भूमि पर अवैध कब्जा करने वाले, बुजुर्गों एवं माता-पिता का अपमान करने वाले भयंकर पितर दोष से पीड़ित होते हैं। ऐसे लोगों को सात जन्मों तक नरक भोगना पड़ता है और उनके पितर हमेशा दुखी व अशांत रहते हैं।

च्यवन ऋषि की तपस्यास्थली ढोसी नजदीक नारनौल (हरियाणा), गयाजी (बिहार), संगम (इलाहाबाद), हरिद्वार  में पितरों  के नाम से गंगा-स्नान करके धूप-दीप जलाएं। हाथ में चावल, पुष्प, जल व दक्षिणा लेकर संकल्प करें और गणेश पूजन, विष्णु, पीपल का पूजन करें। 

दान वस्तु 

चावल, एक-एक पाव, जौ, चीनी, उड़द, मूंग, मसूर, चने की दाल, बाजरा, दही, खीर, मिठाई और सफेद वस्त्र, फल, पुस्तक, घी तथा चांदी-सोना आदि इन सभी वस्तुओं का संकल्प  करके पीपल वृक्ष के नीचे ही किसी जरूरतमंद (अंधविद्यालय, कुष्ठाश्रम, वृद्धाश्रम, अनाथाश्रम, गौशाला) विद्वान ब्राह्मण को श्रद्धापूर्वक दान कर देना चाहिए। 

 

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