दिनकर के सपनों को पूरा करने के लिए बिहार से जातिवाद खत्म हो: मोदी

Edited By ,Updated: 22 May, 2015 02:18 PM

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को जनता को प्रेरित करने वाला तथा ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ का प्रवर्तक कवि बताते हुए उनके सपनों को पूरा करने के लिए बिहार से जातिवाद को मिटाने तथा राज्य को समृद्ध बनाने का आह्वान किया है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को जनता को प्रेरित करने वाला तथा ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ का प्रवर्तक कवि बताते हुए उनके सपनों को पूरा करने के लिए बिहार से जातिवाद को मिटाने तथा राज्य को समृद्ध बनाने का आह्वान किया है।  मोदी ने दिनकर की चर्चित कृति संस्कृति के चार अध्याय’’ तथा परशुराम की प्रतीक्षा’’ के प्रकाशन के 50 वर्ष पूरे होने पर आज यहां आयोजित एक समारोह में यह बात कही। इस अवसर पर उन्होंने दिनकर के परिवार के लोगों को शांल उढ़ाकर सम्मानित भी किया। 
 
समारोह में कई केन्द्रीय मंत्री तथा सांसद भी मौजूद थे।  प्रधानमंत्री ने शरद को ब्रह्म का रूप तथा लेखकों को ऋणि तथा प्रथ प्रदर्शक की संज्ञा देते हुए कहा कि दिनकर की रचनाओं ने जे पी आंदोलन में लोगों को न केवल उद्वेलित किया, बल्कि पूरे समाज को जगाने का काम किया।  उन्होंने कहा कि दिनकर के भीतकर एक आग थी और बेचैनी थी तथा वे चुप बैठे नहीं रहते थे। वे चाहते थे कि उनके भीतर जो आग है, वो जलाए नहीं, बल्कि रोशनी बने। दिनकर की रचनाओं को हजारों लोग आज भी  मुख्यपाठ करते हैं और यह कोई छोटी बात नहीं है। 
 
प्रधानमंत्री ने संस्कृति के चार अध्याय और ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ को ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ’की रचना बताते हुए कहा कि दिनकर जी के माध्यम से हम भारत को समझने की खिड़की खोल सकते हैं और अगर हम समर्थ हो तो भारत के द्वार खोल सकते हैं।  उन्होंने दिनकर जी के 1961 में लिखे गए एक पत्र को उद्धृत करते हुए कहा कि दिनकर ने बिहार को सुधारने के लिए जातिवाद का रास्ता न अपनाने की बात लिखी थी, बल्कि यह भी कहा था कि एक-दो जातियों के समर्थन से राज नहीं चलता है। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर जातिवाद से ऊपर उठ नहीं सकते तो बिहार का सार्वजनिक जीवन जल जाएगा। उन्होंने कहा कि दिनकर जी का यह पत्र बिहार के लिए संदेश है। 
 
उन्होंने कहा कि बिहार को आगे बढऩा है तो इससे ऊपर उठना होगा। उन्होंने कहा कि बिहार, बंगाल और पूर्वोत्तर राज्य समृद्ध नहीं हैं इसलिए पश्चिमी राज्यों की लक्ष्मी के साथ पूर्वी राज्यों की सरस्वती का मेल होना जरूरी है।  उन्होंने कहा कि अगर बिहार को आगे बढऩे का एक बार अवसर मिल गया तो वह आगे बढ़ेगा और हम दिनकर जी के सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 
 

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