Edited By ,Updated: 23 May, 2015 01:14 PM
आय से अधिक संपत्ति के मामले में कर्नाटक हाइकोर्ट से बरी होने के बाद तमिलनाडु में एआईएडीएमके अध्यक्ष जयललिता ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर एक बार फिर तमिलनाडु की कमान संभाल ली है।
चेन्नई : आय से अधिक संपत्ति के मामले में कर्नाटक हाइकोर्ट से बरी होने के बाद तमिलनाडु में एआईएडीएमके अध्यक्ष जयललिता ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर एक बार फिर तमिलनाडु की कमान संभाल ली है। शपथ ग्रहण समारोह मद्रास यूनिवर्सिटी ऑडिटोरियम में हुअा जहां जयललिता के साथ 28 मंत्रियों ने भी शपथ ग्रहण की। इससे पहले शुक्रवार को विधायक दल की बैठक में जयललिता दल की नेता चुनीं गईं। नेता चुने जाने के बाद जयललिता के समर्थकों ने जमकर जश्न मनाया। जयललिता मंत्रिमंडल में सभी चेहरे भरोसेमंद हैं।
जयललिता के जेल से बाहर आने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले पन्नीरसेल्वम को वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
गौरतलब है कि आय से अधिक संपत्ति मामले में कर्नाटक की निचली अदालत से 4 साल की सजा के बाद जयललिता को सीएम मद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि कर्नाटक हाईकोर्ट से जयललिता को हाल ही में बरी किया गया है।
फिल्मों में कर चुकी हैं अभिनय
जब वे स्कूल में थीं तभी उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए राजी कर लिया। विद्यालई शिक्षा के दौरान ही उन्होंने 1961 में 'एपिसल' नाम की एक अंग्रेजी फिल्म में काम किया। मात्र 15 वर्ष की आयु में वे कन्नड फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगी। कन्नड भाषा में उनकी पहली फिल्म 'चिन्नाडा गोम्बे' है जो 1964 में प्रदर्शित हुई। उसके बाद उन्होंने तमिल फिल्मों की ओर रुख किया। वे पहली ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने स्कर्ट पहनकर भूमिका निभाई थी।
तमिल सिनेमा में उन्होंने जाने माने निर्देशक श्रीधर की फिल्म 'वेन्नीरादई' से अपना करियर शुरू किया और लगभग 300 फिल्मों में काम किया। उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़, अंग्रेजी और हिन्दी फिल्मों में भी काम किया है। उन्होंने धर्मेंद्र सहित कई अभिनेताओं के साथ काम किया, किन्तु उनकी ज्यादातर फिल्में शिवाजी गणेशन और एमजी रामचंद्रन के साथ ही आईं।
1982 में एम.जी.रामचंद्रन के साथ की राजनीतिक जीवन की शुरुआत
जयललिता को तमिलनाडु के लोग बहुत महत्व देते हैं इसलिए उन्हें अम्मा के नाम से जाना जाता है। अम्मा ने 1982 में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) की सदस्यता ग्रहण करते हुए एम.जी.रामचंद्रन के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 1983 में उन्हें पार्टी का प्रोपेगेंडा सचिव नियुक्त किया गया। बाद में अंग्रेजी में उनकी वाक क्षमता को देखते हुए पार्टी प्रमुख रामचंद्रन ने उन्हें राज्यसभा में भिजवाया और राज्य विधानसभा के उपचुनाव में जितवाकर उन्हें विधानसभा सदस्य बनवाया। 1984 से 1989 तक वे तमिलनाडु से राज्यसभा की सदस्य रहीं। बाद में, पार्टी के कुछ नेताओं ने उनके और रामचंद्रन के बीच दरार पैदा कर दी। उस समय वे एक तमिल पत्रिका में अपने निजी जीवन के बारे में कॉलम लिखती थीं पर रामचंद्रन ने दूसरे नेताओं के कहने पर उन्हें ऐसा करने से रोका। 1984 में जब मस्तिष्क के स्ट्रोक के चलते रामचंद्रन अक्षम हो गए तब जया ने मुख्यमंत्री की गद्दी संभालनी चाही, लेकिन तब रामचंद्रन ने उन्हें पार्टी के उप नेता पद से भी हटा दिया।
वर्ष 1987 में रामचंद्रन का निधन हो गया और इसके बाद अन्ना द्रमुक दो धड़ों में बंट गई। एक धड़े की नेता एमजीआर की विधवा जानकी रामचंद्रन थीं और दूसरे की जयललिता, लेकिन जयललिता ने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। वर्ष 1989 में उनकी पार्टी ने राज्य विधानसभा में 27 सीटें जीतीं और वे तमिलनाडू की पहली निर्वाचित नेता प्रतिपक्ष बनीं।
वर्ष 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद राज्य में हुए चुनावों में उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा और सरकार बनाई। वे 24 जून 1991 से 12 मई तक राज्य की पहली निर्वाचित मुख्यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री रहीं।
बालिकाओं की रक्षा के लिए 'क्रैडल बेबी स्कीम' शुरू की
वर्ष 1992 में उनकी सरकार ने बालिकाओं की रक्षा के लिए 'क्रैडल बेबी स्कीम' शुरू की ताकि अनाथ और बेसहारा बच्चियों को खुशहाल जीवन मिल सके। इसी बर्ष राज्य में ऐसे पुलिस थाने खोले गए जहां केवल महिलाएं ही तैनात होती थीं।