‘बड़े अफसरों’ के लिए रिश्वत की वसूली करते हैं ‘छोटे अफसर’

Edited By ,Updated: 23 May, 2015 11:23 PM

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आजादी के 68 वर्ष बाद भी देश की जनता सुशासन के लिए तरस रही है। यदि कोई पूछे कि देश का कौन-सा कोना और कौन-सा सरकारी विभाग भ्रष्टाचार से मुक्त है

आजादी के 68 वर्ष बाद भी देश की जनता सुशासन के लिए तरस रही है। यदि कोई पूछे कि देश का कौन-सा कोना और कौन-सा सरकारी विभाग भ्रष्टाचार से मुक्त है तो इसका उत्तर देना कठिन ही होगा। 

सबसे पहले हम तमिलनाडु के पी.डब्ल्यू.डी.(सार्वजनिक निर्माण विभाग)  की बात करते हैं। वहां इस विभाग के ठेकेदार उच्चाधिकारियों के भ्रष्टाचार से इतना तंग आ चुके हैं कि ‘तमिलनाडु पी.डब्ल्यू.डी. ठेकेदार संघ’ ने राज्य भर में होर्डिग लगाकर पी.डब्ल्यू.डी. के ‘10 सर्वाधिक भ्रष्ट’ इंजीनियरों के नाम सार्वजनिक करने का निर्णय लिया। 
 
पहली बार एक ऐसा बोर्ड हाल ही में चेन्नई में लगाया गया जिस पर किसी का नाम लिखने के स्थान पर सिर्फ ‘पी.डब्ल्यू.डी. विभाग के भ्रष्ट टॉप टैन’ लिखा था। संघ के प्रमुख एस. गुणामणि का कहना है कि ‘‘यह तो सिर्फ एक चेतावनी भर है। अगली बार हम जो होर्डिग लगाएंगे उन पर विभाग के 10 सर्वाधिक भ्रष्ट इंजीनियरों के नाम भी लिखे होंगे।’’
 
हालांकि पुलिस ने होर्डिग लगने के कुछ ही देर बाद इसे उतार कर पी.डब्ल्यू.डी. को ज्यादा शमदगी से बचा लिया परंतु इसके बाद का घटनाक्रम तो पी.डब्ल्यू.डी. विभाग के लिए और भी ज्यादा अपमानजनक बन गया है।
 
‘बाई कृष्णमूर्ति’ नामक एक सरकारी ठेकेदार और पी.डब्ल्यू.डी. के एक सहायक इंजीनियर श्रीधर के बीच चेन्नई स्थित सरकारी मैडीकल कालेज में किए 3 लाख रुपए के किसी ठेके की कमीशन के रूप में अपने उच्चाधिकारियों को दी जाने वाली 30,000 रुपए की एक रकम को लेकर हुई टैलीफोन वार्ता के सोशल मीडिया पर वायरल होने से हड़कम्प मचा हुआ है।
 
श्रीधर फोन पर कृष्णमूर्ति से शिकायत कर रहा है कि ‘‘मेरे बार-बार फोन करने पर भी तुम मेरा फोन क्यों नहीं उठा रहे? देखो, तुम अच्छे ठेकेदार हो परंतु तुम्हारे भीतर इतना शिष्टाचार तो होना ही चाहिए कि जब मैं तुम्हें फोन करूं तो तुम उसे सुनो। अब कृपया जल्दी पैसा भेज दो।’’
 
‘‘तुमने पैसे नहीं भेजे हैं और अफसरान मुझ पर पैसों के लिए दबाव डाल रहे हैं और यदि तुमने जल्दी पैसे नहीं भेजे तो मैं भी कृषि विभाग के मुत्थूकुमारस्वामी की भांति आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाऊंगा।’’ 
 
ज्ञात रहे कि इसी वर्ष फरवरी में राज्य के तत्कालीन कृषि मंत्री एस.एस. कृष्णमूर्ति द्वारा कृषि विभाग में अपनेपसंदीदा उम्मीदवारों को ड्राइवर भर्ती करने के लिए दबाव डाले जाने पर मुत्थूकुमारस्वामी ने आत्महत्या कर ली थी।
 
विपक्ष का आरोप है कि एस.एस. कृष्णमूर्ति ने कुछ लोगों को ड्राइवर के रूप में नौकरी दिलवाने का वायदा करके उनसे अच्छी-खासी रकम वसूल कर ली थी परंतु मुत्थूकुमारस्वामी ने मंत्री एस.एस. कृष्णमूर्ति की बात मानने से इंकार कर दिया तथा कानून के अनुसार ही चलने का निर्णय किया था। 
 
मुत्थूकुमारस्वामी की आत्महत्या के बाद एस.एस. कृष्णमूर्ति की मंत्री परिषद से छुट्टी कर दी गई और एक सहायक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था जोकि दोनों ही अब जेल में हैं। 
 
प्रधान एस. गुणामणि का आरोप है कि उच्चाधिकारियों को देने के लिए अधीनस्थ इंजीनियर ठेकेदारों से ठेके की कुल राशि का 40-40 प्रतिशत तक हिस्सा कमीशन के रूप में वसूल करते हैं। 
 
उक्त घटनाक्रम से स्पष्ट है कि अपना काम करवाने के लिए किस प्रकार लोगों को सरकारी अमले की मुट्ठी गर्म करनी पड़ती है। जब ठेकेदार को सरकारी अधिकारियों को इतनी भारी-भरकम राशि रिश्वत के रूप में देनी पड़ेगी तो वह सीमैंट में ज्यादा रेत ही मिलाएगा। 
 
अन्य राज्यों में भी लगभग ऐसी ही स्थिति है। महाराष्ट का पी.डब्ल्यू.डी. राज्य में सर्वाधिक भ्रष्ट विभाग बताया जाता है और बेहिसाबी सम्पत्ति के मामले में इसके अधिकारी महाराष्ट के अन्य सभी विभागों के अधिकारियों से अधिक अमीर बताए जाते हैं। 
यही नहीं, ‘आप’ के पंजाब मामलों के प्रभारी संजय सिंह के अनुसार देश में सर्वाधिक भ्रष्टाचार पंजाब में है और इसके विभिन्न विभागों के अधिकारी जनता को लूटने के लिए माफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं।
 
अब जबकि केंद्र की भाजपा सरकार अपने सत्तारूढ़ होने का एक वर्ष पूरा होने की खुशी में राष्टव्यापी समारोह मनाने जा रही है, उक्त घटनाक्रम को देखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री के इस दावे में दम कम ही नजर आता है कि ‘‘नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत के राजनीतिक शब्दकोष से ‘भ्रष्टाचार’ शब्द मिटा दिया है।’’  
 

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