Edited By ,Updated: 24 May, 2015 12:30 PM
जीवन एक आश्चर्य है लेकिन बहुत सारे लोग जीवन के आश्चर्य का आनंद ही नहीं उठाते । जब हम अनुभव नहीं करते तो हम किसी भी चीज का आनंद नहीं ले पाते हैं । किसी को नियाग्रा फाल भेजिए और अगर वह अनुभव नहीं करता तो कहेगा अरे मेरे गांव में पानी नहीं है और यहां...
जीवन एक आश्चर्य है लेकिन बहुत सारे लोग जीवन के आश्चर्य का आनंद ही नहीं उठाते । जब हम अनुभव नहीं करते तो हम किसी भी चीज का आनंद नहीं ले पाते हैं । किसी को नियाग्रा फाल भेजिए और अगर वह अनुभव नहीं करता तो कहेगा अरे मेरे गांव में पानी नहीं है और यहां पानी बर्बाद हो रहा है । जीवन में अगर अनुभव नहीं है तो जीवन यंत्रवत है । यंत्रवत जीवन में ही तनाव नजर आता है । प्रसन्नता का अभाव वहीं है जहां जीवन यंत्रवत हो गया है और उसमें अनुभव के लिए जगह नहीं बची है।
चीजों को समझने में जानकारी आपकी मदद नहीं कर सकती है बल्कि आपका ज्ञान (अनुभव) ही मदद कर सकता है । भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद् भगवत गीता में कहा, ‘‘हर चीज में आश्चर्य है’’ लेकिन तभी, जब हम आश्चर्य का अनुभव करें । अपने दिल को खोलकर रखो तो हर पल आनंद है । जब सूर्य उगता है तो आश्चर्य है, फूल खिलना आश्चर्य है, बारिश आश्चर्य है। हर छोटी-छोटी घटना में आश्चर्य और आनंद है । चीजों को समझने से आश्चर्य है और न समझो तो भी आश्चर्य है ।
मर्लिन मुनरो हॉलीवुड की सबसे सुन्दर नायिका थी । उसके पास बहुत पैसा था और उसके कई प्रेम प्रसंग भी थे लेकिन उसने आत्महत्या कर ली । तो जीवन में सफलता सब कुछ नहीं है । वह जीवन की परिपूर्णता नहीं है । सफलता के बावजूद भी जीवन में असफलता का अहसास बना रहेगा । भारतीय दर्शन यही कहता है कि सफलता ही सब कुछ नहीं है बल्कि आपको संतुष्टि भी चाहिए । संसार में बाहरी जीत सफलता है लेकिन आंतरिक जीत संतुष्टि है । इसलिए जीवन का लक्ष्य पता होना चाहिए । पता होना चाहिए कि हम क्या पाना चाहते हैं। सफलता और संतुष्टि के बीच संतुलन साधना हर किसी को आना चाहिए। यह आ गया तो ही जीवन सुन्दर है।