जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत के चक्करों से बाहर निकलने का सुगम मार्ग

Edited By ,Updated: 26 May, 2015 12:24 PM

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ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं जो भगवान के साथ ही जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत सभी में समान रूप से भरोसा करते हैं। ऐसे लोगों से यह कह दिया जाए कि तुम पर जो मुसीबत है वह किसी के जादू-टोने के कारण आई है तो वे

ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं जो भगवान के साथ ही जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत सभी में समान रूप से भरोसा करते हैं। ऐसे लोगों से यह कह दिया जाए कि तुम पर जो मुसीबत है वह किसी के जादू-टोने के कारण आई है तो वे तुरंत उस पर भरोसा कर लेते हैं और भगवान की शरण में चले जाते हैं। जब भगवान पर विश्वास है तो फिर शैतान से क्यों डरना।

जब विश्वास करते समय दिमाग न लगाया जाए तो वह अंधविश्वास बन जाता है। व्यर्थ की परंपराओं का आंख मूंदकर पालन करना भी एक तरह से ब्रेनवाश है। इसमें पुरानी पीढ़ी नई पीढ़ी के दिमाग में कुछ विचार या मान्यताएं भर देती है और नई पीढ़ी अज्ञानता की वजह से उन बातों को मानती चली जाती है और फिर वह उन्हें खुद से अलग नहीं कर पाती।
 
किसी अंधविश्वास या रूढि़ का अतिवादी तरीके से पालन करना व्यक्ति को मानसिक रोगी भी बना देता है। दुखद है कि हम अपनी गलत परंपराओं का भी विरोध नहीं कर पाते। यदि ठहर कर विचार करें तो हम पाएंगे कि अंधविश्वास वही लोग करते हैं जिन्हें खुद पर विश्वास नहीं होता। अंधविश्वास से बाहर निकलने के लिए अपनी आंखों पर विश्वास करना सबसे जरूरी है। हमारी बुद्धि और विवेक तभी काम करेंगे जब हम उनका प्रयोग शुरू करेंगे।

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