भाजपा राज में ‘दलितों पर अत्याचार’

Edited By ,Updated: 28 May, 2015 12:10 AM

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स्वतंत्रता के 68 वर्ष बाद भी देश में अमीर-गरीब, ऊंच-नीच और जात-पात की खाई भरी नहीं जा सकी है। आज भी रंग, नस्ल, जाति और धर्म के नाम पर भेदभाव तथा सर्वहारा वर्ग एवं दलितों पर अत्याचार जारी हैं।

स्वतंत्रता के 68 वर्ष बाद भी देश में अमीर-गरीब, ऊंच-नीच और जात-पात की खाई भरी नहीं जा सकी है। आज भी रंग, नस्ल, जाति और धर्म के नाम पर भेदभाव तथा सर्वहारा वर्ग एवं दलितों पर अत्याचार जारी हैं।

समय-समय पर ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं जिन्हें देख-सुन कर व्यक्ति सोचने को विवश हो जाता है कि हम प्रगति कर रहे हैं या अवनति। यहां पेश हैं दलितों पर दबंगों के अत्याचार की निम्र चंद ऐसी ही घटनाएं :

24 अप्रैल को राजस्थान की जलेसर तहसील के गांव सिकंदरपुर मढ़ी में दबंगों ने दुष्कर्म के बाद एक दलित युवती की हत्या कर दी। अभी तक पुलिस किसी अपराधी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। दबंग दलितों को धमकियां देते हुए खुलेआम घूम रहे हैं।

10 मई रात को मध्यप्रदेश में रतलाम के नेगरुण गांव में दलितों की एक बारात पर दबंगों ने इस कारण जमकर पथराव किया क्योंकि दूल्हा घोड़ी पर सवार था। इससे एक नायब तहसीलदार समेत 4 लोग घायल हो गए।

जब दबंगों को पता चला कि दूल्हा घोड़ी पर दुल्हन के घर जाने वाला है तो वे जबरदस्ती उनकी घोड़ी ले गए और जब पुलिस की सुरक्षा में दूसरी घोड़ी लाई गई तब भी दबंग बाज न आए व उन्होंने बारात पर पथराव कर दिया जिससे बचाव हेतु दूल्हे को हैल्मेट पहन कर दुल्हन के घर जाना पड़ा।

16 मई को शिरडी नगर, महाराष्टï्र में एक युवक पवन कुमार होटल में बैठा था तो उसी समय उसके मोबाइल फोन की रिंगटोन बजी जिसमें बाबा साहब भीम राव अम्बेदकर द्वारा दलितोद्धार के कार्यों का गुणगान किया था।

इसे सुनते ही बगल में बैठे 8 दबंगों ने पवन को फोन बंद करने को कह कर उससे झगडऩा शुरू कर दिया। वे पवन को अपने मोटरसाइकिल से घसीट कर जंगल में ले गए और वहां उसकी हत्या कर दी।

24 मई को मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिला मुख्यालय से मात्र 15 कि.मी. दूर घटवानी गांव के बाहुबलियों द्वारा फरमान जारी करके दलितों को अपने हैंडपम्प से पानी लेने के लिए आने से रोकने का मामला सामने आया।

दबंगों की ज्यादती का आलम यह है कि उनके हैंडपंप से निकला पानी जानवर तो पी सकते थे, दलित नहीं। इस कारण 200 से भी अधिक दलित परिवार गंदा पानी पीने को मजबूर थे। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने जिला और पुलिस प्रशासन को नोटिस भेज कर फटकार लगाई तथा अब प्रशासन दलित बस्ती में हैंडपम्प लगवाने की बात कह रहा है।

अब 26 मई को सुबह के समय अमृतसर के थाना घरिंडा के अंतर्गत गांव अक्षिंचतकोट में गांव के अकाली सरपंच अमरीक सिंह और एक पुलिस कांस्टेबल जोरावर सिंह के नेतृत्व में कुछ लोगों ने सतनाम सिंह व वरियाम सिंह सहित लगभग एक दर्जन दलितों के मकानों पर हमला करके उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया तथा एक घायल की तो टांग ही टूट गई।

घायलों को अमृतसर के राजकीय गुरुनानक देव अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती करवाया गया है। यही नहीं, उन्होंने बाथरूम में नहा रही एक दलित महिला को नग्नावस्था में ही बाथरूम से निकाल कर मारपीट करने के अलावा गांव में घुमाया।

इस समय जबकि भारतीय जनता पार्टी केंद्र में अपनी सरकार का एक वर्ष सफलतापूर्वक पूरा करने की खुशी में ‘जन कल्याण पर्व’ मना रही है, भाजपा शासित राज्यों में ही दलितों पर अत्याचार इसके ‘सबका साथ और सबका विकास’ नारे को झुठला रहे हैं।

यदि दलितों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों के लोगों पर इसी प्रकार अत्याचार होते रहेंगे तो ‘सबका साथ और सबका विकास’ असंभव है। ऐसा तो समान न्याय एवं दोषियों के लिए कठोर दंड प्रणाली से ही संभव हो सकेगा।

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