किसी को गुपचुप तरीके से नहीं दी जा सकती फांसी: सुप्रीम कोर्ट

Edited By ,Updated: 28 May, 2015 08:46 AM

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषी ठहराए गए किसी भी व्यक्ति की अपनी गरिमा होती है और उन्हें मनमाने ढंग से, गुपचुप तरीके से या जल्दबाजी में फांसी नहीं दी जा सकती।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषी ठहराए गए किसी भी व्यक्ति की अपनी गरिमा होती है और उन्हें मनमाने ढंग से, गुपचुप तरीके से या जल्दबाजी में फांसी नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि एक दोषी को हर तरह की कानूनी मदद और परिवार से मिलने की इजाजत दी जानी चाहिए। एक अंग्रेजी अखबार ने यह खबर दी है।

उत्तर प्रदेश में 2008 में परिवार के सात लोगों की हत्या की दोषी एक महिला और उसके प्रेमी की फांसी पर रोक लगाते हुए जस्टिस ए.के. सीकरी और यू.यू. ललित ने यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि किसी को फांसी की सजा सुनाए जाने के साथ ही अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन का अधिकार समाप्त नहीं हो जाता है। फांसी के सजा के मामले में भी दोषियों के जीवन की गरिमा का ख्याल रखा जाना चाहिए।

उत्तर प्रदेश के इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'सेशंस जज ने दोनों के खिलाफ जल्दबाजी में फैसला सुनाया और डेथ वारंट पर साइन किए। जजों ने आरोपियों को कानूनी उपचार का पर्याप्त समय नहीं दिया, इन सब तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कहा कि दोषियों को पुनर्विचार याचिका और दया याचिका दाखिल करने का समय मिलना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी अफजल गुरु की फांसी के संदर्भ में ज्यादा अहम हो जाती है क्योंकि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को 2013 में गुपचुप तरीके से फांसी दे दी गई थी और फांसी से पहले उसके परिवार को भी सूचित नहीं किया गया था।

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