ई-कामर्स आएगी उपभोक्ता कानून के दायरे में

Edited By ,Updated: 02 Jun, 2015 10:49 AM

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आनलाईन ग्रहाकों सहित सारे ग्राहकों के हित की रक्षा करने के लिए सरकार ने तीन दशक पुराने उपभोक्ता कानून में शोध करके ई-कामर्स और प्रोडक्ट संबंधी देनलेन को इस कानून के दायरे में लाने के फैसला किया है।

नई दिल्ली: आनलाईन ग्रहाकों सहित सारे ग्राहकों के हित की रक्षा करने के लिए सरकार ने तीन दशक पुराने उपभोक्ता कानून में शोध करके ई-कामर्स और प्रोडक्ट संबंधी देनलेन को इस कानून के दायरे में लाने के फैसला किया है। यह पेशकश मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ संकलप के संदर्भ में काफी अहम है। सरकार का मानना है कि  यह संकल्प तब ही साकार हो जाएगा, जब निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, क्यूकि देश के खपतकारों में भाईचारे का भरोसा काईम करना बेहद जरूरी है।

वहीं, खाद्य, नागरिक आपूर्ति तथा उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने आज दावा किया कि मोदी सरकार के एक वर्ष के शासन के दौरान गेहूं, चावल और चीनी की कीमतों को नहीं बढऩे दिया गया जबकि दलहन एवं तिलहन की पैदावार मांग की तुलना में कम है।

पासवान ने अपने मंत्रालय के एक वर्ष की उपलब्धियों की जानकारी देने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में महंगाई बढऩे के संबंध में सवाल कियए जाने पर कहा कि सरकार ने इस पर अंकुश लगा रखा है। उन्होंने कहा कि गत एक अप्रैल को खाद्यान्नों का न्यूनतम बफर स्टाक 210.40 लाख टन की तुलना में 343.15 लाख टन पहुंच गया था। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 250 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था और इस वर्ष इसके 270 लाख टन हो जाने की आशा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग चीनी का बफर स्टाक बनाने की मांग कर रहे हैं और वे चाहते हैं कि सरकार चीनी उत्पादन का 10 प्रतिशत खरीद ले जिससे गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान किया जा सके।

गन्ना किसानों का बकाया बढ़कर 21000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। पासवान ने कहा कि दुनिया में सबसे अधिक दालों का उत्पादन भारत में होता है इसके बावजूद मांग की पूर्ति के लिए 30 से 40 लाख टन दालों का आयात किया जाता है। उन्होंने कहा कि दलहन और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। 

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