मंदिर जाने का उत्तम समय

Edited By ,Updated: 02 Jun, 2015 02:14 PM

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मंदिर का अर्थ होता है-मन से बाहर (दूर) कोई स्थान। मंदिर का शाब्दिक अर्थ ‘घर’ है और मंदिर को मन का द्वार भी कहते हैं। मंदिर को आलय भी कहते हैं जैसे कि शिवालय, जिनालय।

मंदिर का अर्थ होता है-मन से बाहर (दूर) कोई स्थान। मंदिर का शाब्दिक अर्थ ‘घर’ है और मंदिर को मन का द्वार भी कहते हैं। मंदिर को आलय भी कहते हैं जैसे कि शिवालय, जिनालय।

मंदिर जाने का उत्तम समय

* हिन्दू मंदिर में जाने का समय संध्याकाल होता है, सूर्य और तारों से रहित दिन-रात की संधि को तत्वदर्शी मुनियों ने संध्याकाल माना है। संध्या वंदना को संध्योपासना भी कहते हैं। संधिकाल में ही संध्यावंदना की जाती है। वैसे संधि 5 समय की होती है लेकिन प्रात: काल और संध्याकाल-उक्त 2 समय की संधि प्रमुख हैं अर्थात  सूर्य उदय और अस्त के समय। इस समय मंदिर या एकांत में शौच, आचमन, प्राणायामादि कर गायत्री छंद से निराकार ईश्वर की प्रार्थना की जाती है।

* दोपहर 12 से अपराह्न 4 बजे तक मंदिर में जाना, पूजा आरती और प्रार्थना करना निषेध माना गया है अर्थात प्रात: काल से 11 बजे के पूर्व मंदिर होकर आ जाएं या फिर अपरान्हकाल में 4 बजे के बाद मंदिर जाएं।

—इंद्रप्रस्थ संवाद

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