वास्तु ने ही बनाया ताज को सरताज

Edited By ,Updated: 02 Jun, 2015 12:55 PM

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यह तय है कि दुनिया की कोई भी इमारत प्रसिद्ध है तो वह निश्चित रूप से वास्तुनुकूल होगी। ताजमहल की विश्व प्रसिद्धि का कारण इसकी सुन्दर बनावट तो है ही, परन्तु इस प्रसिद्धि में चार चांद लगा रहा है, इसका वास्तुनुकूल भौगोलिक स्थान पर वास्तुनुकूल निर्माण।...

यह तय है कि दुनिया की कोई भी इमारत प्रसिद्ध है तो वह निश्चित रूप से वास्तुनुकूल होगी। ताजमहल की विश्व प्रसिद्धि का कारण इसकी सुन्दर बनावट तो है ही, परन्तु इस प्रसिद्धि में चार चांद लगा रहा है, इसका वास्तुनुकूल भौगोलिक स्थान पर वास्तुनुकूल निर्माण। मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी प्यारी बेगम मुमताज महल की याद में यह इमारत बनवाई। इसको बनाने में भारतीय फारसी और इस्लामिक
 स्टाइल का प्रयोग किया गया है।  जो कि मुगल वास्तुशास्त्र का सुन्दर उदाहरण है।


दिशाओं के समानान्तर बनाई गई अष्टभुजाओं की संरचना वाला भवन ताजमहल वास्तुशास्त्र का एक सुन्दर उदाहरण है। देखते हैं कि ताजमहल किस तरह से वास्तुशास्त्र और फेंगशुई के सिद्धान्तों के अनुरूप है।

वास्तुशास्त्र की दृष्टि से:

1 ताजमहल को दक्षिण में बने चार बगीचों के अंतिम छोर पर यमुना नदी के किनारे पर बनवाया गया है ताज की पिछली दीवार यमुना नदी के तट पर जाकर ठहरती है। ताज की उत्तर दिशा में यमुना नदी पूर्व वाहिनी होकर बह रही है। वास्तु सिद्धान्त के अनुसार यह भौगोलिक स्थिति ताजमहल को प्रसिद्धि दिलाने में अत्यन्त सहायक है। जब किसी इमारत के उत्तर दिशा में किसी भी प्रकार की नीचाई हो, साथ ही वहां पानी का स्रोत हो तो वह स्थान अवश्य प्रसिद्धि पाता है।

2 ताजमहल 186 x 186 फीट के एक बड़े चैकोर प्लेटफार्म पर बना है, जिसके चारों कोनों पर 162.5 फीट ऊंचाई की मीनार बनी है और मध्य में 213 फीट ऊंचा विशाल गुम्बद बना हुआ है। ताज परिसर में बने इस प्लेटफार्म के पास पूर्व दिशा का थोड़ा भाग पश्चिम दिशा की तुलना में लगभग 4-5 फीट नीचा होकर वास्तुनुकूल है जो ताज को स्थायित्व प्रदान करता है।

3 ताजमहल की बनावट सुडौल एवं संतुलित है। इसमें दो तल हैं। तहखाने में मुमताज महल और शाहजहां की कब्र है और इसी की प्रतिकृति को ऊपर वाले हाॅल में लगाया गया है। ताजमहल परिसर के मध्य उत्तर दिशा में बना यह तहखाना इसकी प्रसिद्धि को बढ़ाने में और अधिक सहायक है।

4  दक्षिण दिशा स्थित ताज का मुख्य प्रवेशद्वार वास्तुनुकूल स्थान पर है जो सैलानियों को अपनी ओर अधिक से अधिक आकर्षित करता है।

फेंगशुई की दृष्टि से:

1 फेंगशुई का एक सिद्धान्त है कि, यदि पहाड़ के मध्य में कोई भवन बना हो, जिसके पीछे पहाड़ की ऊंचाई हो, आगे की तरफ पहाड़ की ढलान हो और ढलान के बाद पानी का झरना, कुण्ड, तालाब, नदी इत्यादि हो, ऐसा भवन प्रसिद्धि पाता है और सदियों तक बना रहता है। फेंगशुई के इस सिद्धान्त में दिशा का कोई महत्त्व नहीं है। ताज के उत्तर में पानी है ऊंचाई पर चबूतरा है और उसके ऊपर मुख्य मकबरा बना है।

2 ताज के मुख्य मकबरे की आकृति अष्टकोणीय है। फेंगशुई में अष्टकोणीय आकृति को अत्यधिक शुभ माना जाता है

3 फेंगशुई में संतुलित बनावट को बहुत महत्व दिया जाता है और ताज की बनावट भी पूर्णतः संतुलित है। ताज के सामने दक्षिण दिशा में बने बगीचे और फव्वारे इसकी शुभता को और अधिक बढ़ाते हैं।

इन्हीं वास्तु-फेंगशुई के सिद्धान्तों की अनुकूलता के कारण ताज भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इसी कारण इसे विश्व के सात आश्चर्यो में स्थान मिला है।

- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा

thenebula2001@yahoo.co.in

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