Edited By ,Updated: 02 Jun, 2015 11:36 AM
अज्ञानी और हर बात में शंकाओं से भरे इंसान का विनाश हो जाता है क्योंकि शंकाओं से भरे इंसान के लिए न इस लोक में सुख है न परलोक में।
अज्ञानी और हर बात में शंकाओं से भरे इंसान का विनाश हो जाता है क्योंकि शंकाओं से भरे इंसान के लिए न इस लोक में सुख है न परलोक में।
जो इस जीवन में आत्मज्ञान प्राप्त नहीं कर पाते, वे अपना पूरा जीवन अज्ञान में ही जी जाते हैं। अज्ञान में जिया गया जीवन जन्म-मरण के चक्र में ही फंसा रहता है क्योंकि मुक्ति के लिए ज्ञान जरूरी है। अज्ञान विनाश का कारण बनता है। जब इंसान अज्ञान की अवस्था में होता है तब उसमें श्रद्धा नहीं होती। श्रद्धा के अभाव में वह ज्ञान की ओर प्रेरित नहीं हो पाता। अज्ञान के कारण ही उसका मन और बुद्धि हमेशा शंका में रहते हैं।
वह परमार्थ के रास्ते में भी शंका ही करता रहता है और कोई भी छोटा-बड़ा निर्णय नहीं ले पाता। इसलिए जो अज्ञानी और शंका के रास्ते पर जाकर परमार्थ से भटक गए हैं उनका व्यक्तित्व बिखरा रहता है। शंका जितनी ज्यादा होती है, इंसान उतना ही ज्यादा दुखी रहता है और जब इस लोक में ही जीवन दुख से भरा है तो परलोक भी नरक यानी दुख वाला ही होता है। वैसे भी शंका में रहने वाले इंसान को सुख तो कभी मिल ही नहीं सकता।