प्लास्टिक मुद्रा के इस्तेमाल की तरफ बढ़ने की जरूरत: जेतली

Edited By ,Updated: 02 Jun, 2015 04:20 PM

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वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज प्लास्टिक मुद्रा के अधिक इस्तेमाल का समर्थन किया और साथ ही कहा कि हौशंगाबाद व मैसूर में नई इकाइयों की स्थापना से नोट मुद्रण के कागज के लिए आयात पर निर्भरता कम होगी।

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज प्लास्टिक मुद्रा के अधिक इस्तेमाल का समर्थन किया और साथ ही कहा कि हौशंगाबाद व मैसूर में नई इकाइयों की स्थापना से नोट मुद्रण के कागज के लिए आयात पर निर्भरता कम होगी। उन्होंने कहा, ''विकसित देश ज्यादा से ज्यादा प्लास्टिक मुद्रा व पेमेंट गेटवे की आेर बढे हैं। मेरी राय में भारत के लिए भी जरूरत है और हम धीरे धीरे इस दिशा में बढने के लिए कदम उठाने को प्रतिबद्ध हैं।''

जेतली यहां ‘मेक इन इंडिया- मुद्रा का स्वदेशीकरण’ पर एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। वित्त मंत्री ने कहा कि देश को ‘पुरानी प्रणालियों’ को छोड़ते हुए भविष्य की प्रौद्योगिकी को अपनाना होगा ताकि स्वदेशीकरण को बढावा दिया जा सके व रोजगार सृजन हो। प्लास्टिक मुद्रा से आशय क्रैडिट व डैबिट कार्ड के इस्तेमाल से है। इससे भी कागजी मुद्रा नोटों पर निर्भरता कम होती है। इस बीच जेटली ने कहा कि हौशंगाबाद व मैसूर में कागज विनिर्माण इकाइयों की स्थापना से घरेलू कागज पर नोटों की छपाई में मदद मिलेगी और मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा मिलेगा।

जेतली ने कहा, ''यह समय है की हम कम से कम अपनी स्याही व अपने कागज में नोट छापना शुरू कर दें। यह मात्र सांकेतिक नहीं बल्कि यह एक विचार प्रक्रिया भी है जो कि भारतीय विनिर्माण को एक तय स्तर पर लाने की इच्छा दिखाती है।''

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