भविष्य में कष्टों और दुखों से बचने के लिए माने चाणक्य की ये सीख

Edited By ,Updated: 14 Jun, 2015 09:58 AM

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चाणक्य एक बड़े दूरदर्शी विद्वान थे। चाणक्य जैसे बुद्धिमान, रणनीतिज्ञ, चरित्रवान व राष्ट्रहित के प्रति समर्पित भाव वाले व्यक्ति भारत के इतिहास में ढूंढने से भी बहुत कम मिलते हैं।

चाणक्य एक बड़े दूरदर्शी विद्वान थे। चाणक्य जैसे बुद्धिमान, रणनीतिज्ञ, चरित्रवान व राष्ट्रहित के प्रति समर्पित भाव वाले व्यक्ति भारत के इतिहास में ढूंढने से भी बहुत कम मिलते हैं। उनके महामंत्री काल में जनता पूर्ण सुखी व आनंदित थी। आचार्य चाणक्य ने एक नीति में बताया है कि हमें भविष्य के कष्टों से बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और कौन-कौन सी बातें इंसान को दुख प्रदान कर सकती हैं।

सत्कुले योजयेत्कन्यां पुत्रं विद्यासु योजतेत् ।
व्यसने योजयेच्छत्रुं मित्रं धर्मे नियोजयेत् ।।


अपनी कन्या का विवाह उच्च कुल में करना चाहिए। किसी भी कुल की ख्याति उसके आचरण से होती है, कन्या के बोल- चल से उसके परिवार और कुल की ख्याति बढ़ती है। किसी भी महिला की सुन्दरता उसके अपने परिवार के प्रति समर्पण में है।

पुत्र को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए। वे माता-पिता अपनी संतान के दुश्मन हैं, जो उन्हें ‍अच्छी शिक्षा नहीं दिलवाते क्योंकि अनपढ़ बेटे का विद्वानों के सामने वैसे ही अपमान होता है जैसे हंसों के झुंड में बगुले की स्थिति होती है। अनपढ़ व्यक्ति बिना पूंछ के जानवर जैसा होता है इसलिए माता-पिता का परम कर्तव्य है कि वे बच्चों को ऐसी शिक्षा दें जिससे वे समाज और अपने कुल को सुशोभित करें।
 
शत्रु को आपत्ति और कष्टों में डालना चाहिए। भाग्य उनका साथ देता है जो हर संकट का सामना करके भी अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहते हैं।

मूर्खो के साथ मित्रता नहीं रखनी चाहिए उन्हें त्याग देना ही उचित है। अपने मित्रों को धर्म-कर्म के कार्य में लगाना चाहिए। जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे हो उन्हें दोस्त न बनाओ, वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेंगे। सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं।

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