अगर कुंडली में हैं यह गरीबी का योग तो धनवान बना सकते हैं सिर्फ भगवान शिव

Edited By ,Updated: 28 Jun, 2015 02:11 PM

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अक्सर जीवन में कई लोगों के साथ ऐसा होता है कि एक समय में धन संपन्न व्यक्ति भी कंगाल हो जाता है। अत्यधिक कठोर परिश्रम करने के उपरांत भी व्यक्ति का आर्थिक उत्थान नहीं हो पाता। ऐसा व्यक्ति के प्रारब्ध के कारण अथवा व्यक्ति की जन्मकुंडली में स्थित ग्रह...

अक्सर जीवन में कई लोगों के साथ ऐसा होता है कि एक समय में धन संपन्न व्यक्ति भी कंगाल हो जाता है। अत्यधिक कठोर परिश्रम करने के उपरांत भी व्यक्ति का आर्थिक उत्थान नहीं हो पाता। ऐसा व्यक्ति के प्रारब्ध के कारण अथवा व्यक्ति की जन्मकुंडली में स्थित ग्रह योगों के कारण होता है। संबु होरा प्रकाश, जातक परिजात, जातक तत्वम जैसे शास्त्रों में कुछ ऐसे योग वर्णित हैं जो जातक को निर्धन बना देते है, जिनके कारण व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी कंगाली का सामना करना ही पड़ता है। ऐसा ही एक अनिष्ट योग है "केमद्रुम योग"।

ऐसा देखा गया है कि प्रबल केमद्रुम योग वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद परिजनों के पास अंतिम संस्कार करने के भी पैसे नहीं होते। शास्त्रों में केमद्रुम योग पर श्लोक कहा गया है।

श्लोक: कान्तान्नपान्ग्रहवस्त्रसुह्यदविहीनो, दारिद्रय-दुघःखगददौन्यमलैरूपेतः। प्रेष्यः खलः सकल लोक विरूद्धव्रत्ति, केमद्रुमेभवतिपार्थिववंशजोऽपि॥

अर्थात यदि व्यक्ति की कुंडली में प्रबल केमद्रुम योग स्थित हो तो वो व्यक्ति जीवनसाथी, अन्न, घर, वस्त्र व बंधु से विहीन होकर दुखी, रोगी, दरिद्र होता है चाहे उसका जन्म किसी राजा के यहां ही क्यों ना हुआ हो। 

आइए जानते हैं इस योग के बारे में

ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार यदि व्यक्ति की जन्मकुंडली में चंद्रमा किसी भी भाव में बिल्कुल अकेला स्थित हो तथा उसके अगल-बगल के दोनों अन्य भावों में कोई भी ग्रह स्थित न हो, तो ऐसी स्थिति में केमद्रुम योग बनता है। जन्मकुंडली में जब चंद्रमा को कोई शुभ ग्रह न देख रहे हों, चंद्रमा स्वयं पापी, क्षीण हो या पापी व क्रूर ग्रहों की दृष्टि में हो तो ऐसे में स्पष्ट प्रबल केमद्रुम योग बनता है। प्रबल केमद्रुम योग वाला व्यक्ति कंगाल होकर भीख मांग कर खाने की स्थिति में आ जाता है।

ज्योतिष में हर समस्या का समाधान उपलब्ध है। जिसके अनुसार प्रबल केमद्रुम योग को भगवान चंद्रशेखर की शरण में जाकर निष्प्रभावी भी किया जा सकता है। इसी संबंध में आइए जानते हैं कुछ विशिष्ट उपायों व ग्रह शांति के बारे में।

1. घर की उत्तर दिशा में प्राण प्रतिष्ठा करवाकर 2.25 इंच लंबा पारद शिवलिंग स्थापित करवाएं व नित्य विधिवत पूजन कर शिव अमोघ कवच का पाठ करें।

2. तीर्थस्थल जहां प्राकृतिक जल स्रोत हो और नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित हो उस शिवालय में चंद्रमा ग्रह की शांति करवाएं।

3. अगर प्राप्त हो जाए तो बाएं हाथ की कनिष्ठा उंगली में प्राकृतिक समुद्री मुक्ता मणि (नेचुरल सी पर्ल) धारण करें।

4. चित्रा नक्षत्र युक्त सोमवारी पूर्णिमा पड़ने पर संकल्प लेकर लगातार चार वर्ष प्रति माह शिव-पूर्णिमा का व्रत रखें।

5. कांच की बोतल में वर्षा के समय पर गिरने वाले बर्फ के ओले जमा करके घर की उत्तरपश्चिम दिशा में रखें।

6. घर की उत्तर-पश्चिम दिशा पूर्ण चंद्रमा का चित्र लगाएं जिसके चारों तरफ आठ ग्रह स्थापित हों।

 

7. प्रति सोम प्रदोष को गाय के कच्चे दूध से "नमक-चमक पाठ" के साथ सम्पूर्ण रुद्राभिषेक करें।

8. चांदी की चेन में प्राण प्रतिष्ठित एक-एक दाना 2मुखी + 13मुखी + 14मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

9. दो-मुखी रुद्राक्ष की माला से मंत्र "ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं" का नित्य 11 माला जाप करें।

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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