Edited By ,Updated: 29 Jun, 2015 04:16 PM
भारत की सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लोगों ने उस समय रोते हुए देखा जब उनके छोटे बेटे संजय गांधी का एक विमान हादसे में उनकी मौत हो गई थी। इमरजेंसी हटने के महज तीन साल बाद संजय गांधी की मौत ने इंदिरा गांधी को अंदर से पूरी तरह झकझोर कर रख...
नई दिल्ली: भारत की सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लोगों ने उस समय रोते हुए देखा जब उनके छोटे बेटे संजय गांधी की एक विमान हादसे में मौत हो गई थी। इमरजेंसी हटने के तीन साल बाद संजय गांधी की मौत ने इंदिरा गांधी को अंदर से पूरी तरह झकझोर कर रख दिया था। इससे पहले शायद ही कभी किसी ने इंदिरा गांधी को रोते हुए देखा हो।
23 जून 1980 को विमान हादसे में संजय गांधी की मौत के बाद कई तरह के कयास लगाए गए। कहा जाता है कि संजय हवाई जहाज भी इस तरह से उड़ाते थे जैसे कोई सड़क पर कार चला रहा हो। 1976 में उन्हें हल्के विमान उड़ाने का लाइसेंस मिला था। इमरजेंसी के बाद मोरारजी देसाई की सरकार ने उनका लाइसेंस कैंसिल कर दिया।
इंदिरा की सरकार बनते ही उनका लाइसेंस भी उन्हें वापस मिल गया। बताया जाता है कि संजय इसकी टेस्ट उड़ान भरना चाहते थे। सुरक्षा कारणों से उनको यह मौका नहीं मिला। 20 जून 1980 को क्लब के इंस्ट्रक्टर ने विमान को उड़ाकर देखा। इसके बाद 21 जून को संजय ने पहली बार इस प्लन का ट्रायल लिया। 22 जून को पत्नी मेनका गांधी, मां इंदिरा गांधी, आरके धवन और धीरेंद्र ब्रह्मचारी को लेकर उन्होंने 40 मिनट की उड़ान भरी।
इसके बाद 23 जून को माधवराव सिंधिया उनके साथ पिट्स की उड़ान भरने वाले थे, लेकिन संजय गांधी सिंधिया के बजाए दिल्ली फ्लाइंग क्लब के पूर्व इंस्ट्रक्टर सुभाष सक्सेना के घर जा पहुंचे। उन्होंने कैप्टन सक्सेना से कहा कि वह उनके साथ फ्लाइट पर चलें। संजय अपनी कार पार्क करने चले गए और सुभाष अपने एक सहायक के साथ फ्लाइंग क्लब पहुंच गए। वह वहां चाय पीने लगे इतने में ही एक प्यून वहां आया और सक्सेना से बोला कि संजय गांधी विमान में बैठ चुके हैं और उन्हें तुरंत बुला रहे हैं। कैप्टन सक्सेना पिट्स के अगले हिस्से में बैठे और संजय ने पिछले हिस्से में बैठकर कंट्रोल संभाला।
करीब सात बजकर 58 मिनट पर उन्होंने टेक ऑफ किया। संजय ने सुरक्षा नियमों को दरकिनार करते हुए रिहायशी इलाके के ऊपर ही तीन लूप लगाए। वो चौथा लूप लगाने ही वाले थे कि कैप्टन सक्सेना के सहायक ने नीचे से देखा कि विमान के इंजन ने काम करना बंद कर दिया है। पिट्स तेजी से मुड़ा और ज़मीन से जा टकराया। संजय गांधी का शव विमान से चार फुट की दूरी पर पड़ा था। कैप्टन सक्सेना के शरीर का निचला हिस्सा विमान के मलबे में दबा हुआ था। सिर बाहर निकला हुआ था।