मांगलिक वर या कन्या का विवाह तय करने से पहले जरुर जानें यें बातें

Edited By ,Updated: 30 Jun, 2015 11:39 AM

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मांगलिक दोष विवाह की बड़ी बाधाओं के रूप में माता-पिता के सामने आता है । इससे विवाह में देरी, उचित वर-वधू का नहीं मिल पाना जैसी समस्याएं काफी चिंतित कर देती हैं.....

मांगलिक दोष विवाह की बड़ी बाधाओं के रूप में माता-पिता के सामने आता है । इससे विवाह में देरी, उचित वर-वधू का नहीं मिल पाना जैसी समस्याएं काफी चिंतित कर देती हैं ।ऐसे में मांगलिक दोष होने पर भी क्या हो सकते हैं उचित उपाय, यह जानना,समझना जरूरी है ।पुत्र या पुत्री के मांगलिक होने पर मांगलिक कुंडली में दो तरह के परिहारों का जरूर ध्यान रखें । स्वयं की मांगलिक कुंडली में शुभ ग्रहों का केन्द्र में होना, जैसे शुक्र द्वितीय भाव में, गुरु-मंगल साथ में या मंगल पर गुरु की दृष्टि से मांगलिक दोष का परिहार हो जाता है । 

वर, कन्या की कुंडली में आपस में मांगलिक दोष की काट के लिए एक के मांगलिक स्थान में मंगल हो और दूसरे के इन्हीं स्थानों में सूर्य, शनि, राहूृ, केतु में से कोई एक ग्रह हो तो दोष नष्ट हो जाता है । इसी प्रकार कन्या की कुंडली में मांगलिक स्थानों में मंगल हो, वर के उपरोक्त स्थानों में मंगल के बदले शनि, सूर्य, राहू- केतु हो तो मंगल का दोष दूर हो जाता है। पापाक्रांत शुक्र तथा सप्तम भाव के स्वामी की नष्ट स्थिति को भी मंगल तुल्य ही समझें ।

मंगल दोष परिहार के लिए कुछ शास्त्र वचन ज्योतिष में बताए गए हैं ।कुंडलियों में परिहार हो, तो मांगलिक दोष भंग हो जाता है और दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है । इनमें मेष का मंगल लग्र में, धनु का द्वादश भाव में, वृश्चिक का चौथे भाव में, वृष का सप्तम में, कुम्भ का आठवें भाव में हो, तो मंगल दोष नहीं होता । मंगल अपनी स्वराशि (मेष, वृश्चिक) उच्च राशि (मकर) तथा मित्र राशि (सिंह, धनु, मीन) में मांगलिक स्थानों में हो, तो मांगलिक दोष नहीं लगेगा ।

कर्क और सिंह लग्र में लग्रस्थ मंगल का दोष नहीं होता है ।शनि यदि 1, 4, 7, 8 12वें भाव में एक ही कुंडली में हो और दूसरे की कुंडली में इन्हीं स्थानों में से किसी स्थान में मंगल हो, तो भौम दोष नहीं रहता है । गुरु और शुक्र यदि केन्द्र और त्रिकोण भाव में बलवान हों तो मंगल दोष नहीं लगता । कन्या की कुंडली में गुरु केन्द्र या त्रिकोण (1, 4, 5, 7, 9, 10) में हो, तो उसके सुख सौभाग्य को बढ़ाने वाला होता है ।

दोष निवारण
मांगलिक दोष में विवाह की अड़चनों, उचित और अनुचित निर्णयों को लेकर माता-पिता की चिंता जायज होती है । मांगलिक वर या कन्या का विवाह तय करने से पहले ज्योतिष के जरिए यह जरूर जान लें कि ज्योतिष के मुताबिक उनका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा ।

टिप्स
वर या कन्या की जन्म कुंडली में लग्न या चंद्र लग्र से जब मंगल 1, 4, 7, 8 या 12वें भावों में हो तो ऐसी कुंडली मांगलिक कहलाती है । मांगलिक विचार का निर्णय बारीकी से किया जाना चाहिए ।

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