Edited By ,Updated: 30 Jun, 2015 03:38 PM
जब कोई छात्र या छात्रा हाईस्कूल की परीक्षा (दसवीं) उत्तीर्ण करता या करती है तो यह समय उसके जीवन में निर्णायक मोड़ का कार्य करता है। क्योंकि यहीं से उसके जीवन में एक नई शुरूआत होती है...
जब कोई छात्र या छात्रा हाईस्कूल की परीक्षा (दसवीं) उत्तीर्ण करता या करती है तो यह समय उसके जीवन में निर्णायक मोड़ का कार्य करता है। क्योंकि यहीं से उसके जीवन में एक नई शुरूआत होती है, नई शुरूआत इसलिए क्योंकि अब उसे किसी विषय का चयन करना होता है, जैसे- गणित, विज्ञान, वाणिज्य, कला आदि। यह वह समय होता है जब विद्यार्थियों को बड़ी समझबुझ तथा सावधानी के साथ किसी विषय का चयन करना होता है। इस समय छात्र या छात्रा जिस विषय का चयन करते है उसी विषय से सम्बन्धित क्षेत्र में उन्हें आगे चलकर अपने भविष्य अथवा करियर का निर्माण करना होता है।
वास्तव में यह समय किसी भी विद्यार्थी के जीवन के सबसे नाजुक क्षणों में से एक होता है जिसका अंदाजा स्वयं विद्यार्थी को भी नहीं होता। इस समय लिया गया कोई भी गलत निर्णय जीवन भर पछतावे का कारण बन सकता है। अक्सर समाज में देखा जाता है कि विषय चयन पारिवारीक दबाव, दूसरों की बराबरी, सामाजिक स्तर आदि से प्रेरित होता है जो विद्यार्थी को बहुत अधिक सफलता नहीं दिला पाता। विद्यार्थी को चाहिए की विषय चयन का निर्णय वह स्वविवेक से करें।
अपनी रूची, अपनी क्षमता, पसन्द को पहचानकर एवं अपने जीवन में आगे चलकर जिस क्षेत्र में कार्य करना हो उस क्षेत्र के अनुसार विषय का चयन करना चाहिए। यहां पर माता-पिता को भी इस बात की सावधानी रखनी चाहिए कि विषय चयन को लेकर वे अपने बच्चों पर किसी प्रकार का दबाव न बनाए। कई बार देखा जाता है कि विषय चयन को लेकर माता-पिता बहुत भावुक हो जाते है एवं अपने बच्चों पर अनावश्यक दबाव बनाने लगते है।
ऐसा करने से विद्यार्थी विषय तो माता-पिता की इच्छानुसार ले लेते है परन्तु उस विषय से सम्बन्धित क्षेत्रों में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते और अपनी इच्छा एवं प्रवृत्ति के विपरीत कार्य करते-करते डिप्रेशन का शिकार हो जाते है। वर्तमान समय में कार्य करने एवं करियर बनाने हेतु बहुत विकल्प विद्यमान है। इन विकल्पों का अध्ययन कर, उनके बारे में जानकारी एकत्रित कर अपनी प्रवृत्ति एवं इच्छा के अनुसार विद्यार्थियों को विषय का चयन करना चाहिए जिससे वे अपने विषय से सम्बन्धित क्षेत्र में अच्छे से अच्छा प्रदर्शन कर स्वयं के साथ-साथ राष्ट्र का भी विकास कर सकें।
- (कार्तिक मोदी)