Edited By ,Updated: 30 Jun, 2015 04:30 PM
सरकार ने तेल रिफाइनरियों से कहा है कि ईरान को कच्चे तेल के भुगतान के लिए वे चरणबद्ध तरीके से डॉलर:यूरो खरीदें तथा साल के आखिर तक सारे बकाया के भुगतान को तैयार रहें।
नई दिल्ली: सरकार ने तेल रिफाइनरियों से कहा है कि ईरान को कच्चे तेल के भुगतान के लिए वे चरणबद्ध तरीके से डॉलर:यूरो खरीदें तथा साल के आखिर तक सारे बकाया के भुगतान को तैयार रहें।
उल्लेखनीय है कि ईरान का लगभग 6 अरब डॉलर का बकाया है। फरवरी 2013 के बाद से एस्सार आयल व मेंगलौर रिफाइनरी एंड पैट्रोकेमिकल्स (एमआरपीएल) जैसी भारतीय रिफाइनरियां ईरान से कच्चे तेल की खरीद के लिए यूको बैंक को रुपए में भुगतान कर रही है।
कंपनियों ने कुल बकाया की 45 प्रतिशत राशि का भुगतान किया है जबकि बाकी राशि की गणना अभी की जानी है। पश्चिमी देशों व ईरान के बीच परमाणु मुद्दे पर बातचीत शुरू होने के बाद भारतीय रिफाइनरी कंपनियों ने पिछले साल 6 किस्तों के जरिए लगभग 3 अरब डॉलर का भुगतान किया। इसके बाद बकाया बढ़कर लगभग 6 अरब डॉलर हो गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार का मानना है कि ईरान और अमरीका व 5 अन्य देशों के बीच बातचीत में प्रगति के बाद अगले तीन चार महीने में भुगतान चैनल खुलेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक की सलाह के बाद वित्त मंत्रालय का मानना है कि अगर प्रतिबंधों में ढील के बाद ईरान ने रिफाइनरी कंपनियों से जल्द भुगतान करने को कहा तो रुपया दबाव में आ जाएगा। इसके अलावा एक साथ 6 अरब डॉलर की की खरीद करने से बैंकिंग तंत्र में नकदी की तंगी पैदा हो सकती है। सरकार एेसी किसी भी स्थिति को टालना चाहेगी।
अधिकारी ने कहा कि रिफाइनरी कंपनियों से इसी महीने कहा गया कि वे अपने विदेशी ‘नोस्त्रो’ खाते में धीरे धीरे डॉलर (यूरो जमा करें ताकि ईरान को कच्चे तेल के लिए भुगतान के समय रुपए पर कोई दबाव नहीं आए। एमआरपीएल ने विदेशी मुद्रा जमा करनी शुरू भी कर दी है। नोस्त्रो खाते भुगतान के लिए होते हैं। इन्हें घरेलू बैंक विदेश में वहां की स्थानीय मुद्रा में खालते हैं।