वास्तु के अनुसार एेसी होनी चाहिए आंतरिक साज-सज्जा

Edited By ,Updated: 01 Jul, 2015 10:23 AM

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घर की आंतरिक साज-सज्जा यदि वास्तु-फेंगशुई के अनुरूप हो तो इससे सुख-समृद्धि एवं प्रसिद्धि बढ़ती है । फर्नीचर को उचित स्थान पर व्यवस्थित करने से जहां कमरे के स्थान का समुचित उपयोग हो पाता है वहीं विभिन्न फर्नीचर वस्तुओं से ....

घर की आंतरिक साज-सज्जा यदि वास्तु-फेंगशुई के अनुरूप हो तो इससे सुख-समृद्धि एवं प्रसिद्धि बढ़ती है । फर्नीचर को उचित स्थान पर व्यवस्थित करने से जहां कमरे के स्थान का समुचित उपयोग हो पाता है वहीं विभिन्न फर्नीचर वस्तुओं से उत्पन्न होने वाली धनात्मक और ऋणात्मक ऊर्जा का भरपूर और सही उपयोग भी हो पाता है । आंतरिक साज-सज्जा वास्तु-फेंगशुई का एक महत्वपूर्ण अंग है । घर को वास्तु सम्मत बनाने के बावजूद यदि इसके विभिन्न कमरों को वास्तु व फेंगशुई के सिद्धांत के अनुरूप व्यवस्थित नहीं किया जाए तो पारिवारिक अशांति में वृद्धि होती है ।

आइए कुछ प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालें : 
- गुलदस्ता और असली या नकली पेड़-पौधे घर को आकर्षक बनाते हैं और इन्हें रखना शुभ भी होता है लेकिन कांटेदार, दूध वाले या कैक्टस आदि कभी भी नहीं लगाने चाहिएं । इससे विपरीत प्रभाव उत्पन्न होता है ।

- पेंटिंग, मूर्तियां, तस्वीर, पर्दे आदि घर की शोभा बढ़ाते हैं लेकिन किसी भी कमरे की दीवार या पर्दों पर कहीं भी हिंसक पशु-पक्षियों के, उदासी  भरे, रोते हुए, डूबते हुए सूरज या डूबते हुए जहाज, स्थिर (ठहरे) हुए पानी की तस्वीर, पेंटिंग या मूर्तियां लगाना अच्छा नहीं है । इससे आर्थिक नुक्सान होता है और जीवन में निराशा एवं तनाव बढ़ता है।

- घर की आंतरिक दीवारों पर गहरा रंग नहीं करवाना चाहिए । इससे वहां रहने वाले लोगों के स्वभाव में उग्रता आती है ।

- घर के पर्दे भी हल्के रंग के ही होने चाहिएं । पर्दे को खूबसरत बनाने के लिए थोड़ा गाढ़ा रंग प्रयोग किया जा सकता है ।

- घर का प्रत्येक कमरा पर्याप्त हवादार एवं रोशनी से भरपूर होना श्रेयस्कर है । रोशनदान व खिड़कियों के शीशे-पारदर्शी या फिर हल्के रंग वाले ही होने चाहिएं ।

- किसी भी कमरे में उत्तर ईशान व पूर्व ईशान दिशा को एकदम हल्का या खाली रखना चाहिए । पूर्व, पूर्व आग्नेय, उत्तर व उत्तर वायव्य में भी ज्यादा भार नहीं रखना चाहिए । सर्वाधिक भार नैऋत्य कोण में रखना चाहिए । दक्षिण और पश्चिम में भी अधिक वजन रखा जा सकता है । मध्य क्षेत्र ब्रह्म स्थान कहा जाता है । उसे हमेशा खाली रखने का प्रयास करना चाहिए ।

- निवास स्थान में ईशान कोण में टॉयलेट नहीं बनवाना चाहिए । यह आर्थिक कष्ट बढ़ाता है। टॉयलेट (बाथरूम) को बहुत अधिक सजाना भी वास्तु के विपरीत है।  इससे मकान में एकत्रित पॉजीटिव ऊर्जा फ्लश हो जाती है।

- घर की जिस अलमारी में नकदी व आभूषण रखे जाते हों, उसे कभी भी ईशान कोण में नहीं रखना चाहिए। इससे आर्थिक तंगी बढ़ती है। इसके लिए सबसे उत्तम स्थान दक्षिण या पश्चिम होता है। दक्षिण या पश्चिम की दीवार से इसे इस प्रकार सटा कर रखना चाहिए कि दराज उत्तर या पूर्व दिशा की ओर खुल सकें।

—पंकज कुमार पंकज  

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