पूजा स्थल बनाने से पहले रखें इन बातों का ध्यान

Edited By ,Updated: 04 Jul, 2015 04:31 PM

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ऐसा कोई ही घर होगा जहां मंदिर या पूजा घर न हो, चाहे घर छोटा हो या बड़ा हर कोई अपने घर में पूजा स्थल जरुर बनाता हैं । पूजा घर ही वास्तव में वह स्थान है, जहां मन की शांति प्राप्त होती है ....

ऐसा कोई ही घर होगा जहां मंदिर या पूजा घर न हो, चाहे घर छोटा हो या बड़ा हर कोई अपने घर में पूजा स्थल जरुर बनाता हैं । पूजा घर ही वास्तव में वह स्थान है, जहां मन की शांति प्राप्त होती है । वास्तु के नियमों की बात करें तो मकान के पूर्व-उत्तर में पूजा का स्थान सर्वोत्तम माना गया है । इस स्थान पर पूजा स्थल होने से घर में रहने वालों को शांति, सुकून, धन, प्रसन्नता और स्वास्थ्य का लाभ मिलता है ।

- सीढ़ियों या रसोई घर के नीचे, शौचालय के ऊपर या नीचे कभी भी पूजा का स्थान नहीं बनाना चाहिए ।

- उत्तर-पूर्व के कोण को ईशान कोण माना गया है । ईशान कोण वैसे भी देवताओं का स्थान माना गया है । यहां स्वयं भगवान शिव का भी वास होता है । देव गुरु बृहस्पति और केतु की दिशा भी ईशान कोण ही माना गया है । यही कारण है कि यह कोण पूजा-पाठ या अध्यात्म के लिए सबसे बेहतर होता है ।

- पूजा स्थल पर बीच में भगवान गणेश की तस्वीर या मूर्ति जरूर होनी चाहिए ।

- मूर्तियां छोटी और कम वजनी ही बेहतर होती हैं । अगर कोई मूर्ति खंडित या क्षतिग्रस्त हो जाए तो उसे तुरंत पूजा स्थल से हटा कर कहीं बहते जल में प्रवाहित कर देना चाहिए ।

- पूजा स्थल में यह भी ध्यान देना चाहिए कि भगवान का चेहरा कभी भी ढका नहीं होना चाहिए । यहां तक कि फूल-माला से भी चेहरा नहीं ढकना चाहिए ।

- मंदिर में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।

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