बिजनैस प्रोफैशन में करियर बनाने वाली सुमंगला कैसे बनी IAS अधिकारी, जानिए उसी की जुबानी

Edited By ,Updated: 05 Jul, 2015 03:19 AM

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‘निरंतर पुस्तकें पढऩे और उन्हें समझने से जहां ज्ञान में वृद्धि होती है वहीं मानसिक विकास होने पर मन में आगे बढऩे की चाह पैदा होती है

जालंधर(विनीत, वीना): ‘निरंतर पुस्तकें पढऩे और उन्हें समझने से जहां ज्ञान में वृद्धि होती है वहीं मानसिक विकास होने पर मन में आगे बढऩे की चाह पैदा होती है, जो सफलता पाने के लिए अति आवश्यक है।’ कुछ ऐसा ही मानना है यू.पी.एस.सी. द्वारा ली गई आई.ए.एस. 2014 मेन्स की परीक्षा में सफल रहने वाली जालंधर की सुमंगला शर्मा का। उसने देश भर में 469वां रैंक लेकर अपने माता-पिता के साथ ही जालंधर का नाम भी रौशन करते हुए पहली अटैम्पट में ही यह सफलता प्राप्त करके अपनी योग्यता, मेहनत और कांफिडैंस का परिचय दिया है। सुमंगला को अपना होम टाऊन जालंधर बहुत पसंद है, इसलिए वह पंजाब में रह कर देश की सेवा करना चाहती है।

कैसे की पढ़ाई? 
दयानंद माडल स्कूल, दयानंद नगर की छात्रा सुमंगला ने +2 की परीक्षा में जिले में टाप किया था, तब बिजनैस प्रोफैशन में करियर बनाने के लिए वह दिल्ली चली गई, जहां उसने श्रीराम कालेज आफ कामर्स में दाखिला लेकर अपनी बी.काम कामर्स की पढ़ाई शुरू की तथा 75 फीसदी अंकों के साथ दिल्ली यूनिर्सिसटी में सफलता प्राप्त की। करियर बनाने के लिए उसने लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीच्यूट आफ मैनेजमैंट में दाखिला लेकर एम.बी.ए. की पढ़ाई पूरी की। सुमंगला ने मुंबई में टाटा मोटर्स में जॉब के लिए अप्लाई किया तथा उसे वहां नौकरी मिल गई।
 
कुछ नया कर दिखाने की इच्छा ने बदली दिशा 
मुंबई में डेढ़ साल तक उसने नौकरी की परंतु वहां सोशल कांटैक्ट न मिलने तथा कुछ नया कर दिखाने व अपनी अलग पहचान बनाने के लिए सुमंगला ने आई.ए.एस. की तैयारी करने की सोची, जिसके बाद नौकरी छोड़ कर वह दिल्ली आई और सिविल सवसिज की परीक्षा की तैयारी में जुट गई। 
 
कहां से कैसे की तैयारी?
वैसे तो सुमंगला का कहना है कि वह पुस्तकें पढ़ कर स्वयं ही तैयारी करने लगी और उसने किसी भी कोचिंग इंस्टीच्यूट में दाखिला नहीं लिया परंतु जामिया मिलिया इस्लामिया सैंट्रल यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली में वह अनेक आई.ए.एस. अधिकारियों को मिली और वहां उसने रैजीडैंशियल कोचिंग अकैडमी के एक साल के कोर्स में दाखिला ले लिया। सुमंगला ने बताया कि वहां यू.पी.एस.सी. की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को पूरी तरह परीक्षा के लिए गाइड किया जाता है, किसी तरह की कोचिंग नहीं दी जाती। सुमंगला ने सोशोलोजी विषय के साथ उन्हीं गाइड लाइंस के अनुसार अपनी पढ़ाई की और जनवरी 2014 में होने वाली यू.पी.एस.सी. प्रीलिम्स की परीक्षा दे दी। उसमें सफल होने के बाद मेन्स की परीक्षा दी तथा इंटरव्यू की तैयारी शुरू कर दी। अप्रैल, 2015 में उसने बड़े आत्मविश्वास के साथ इंटरव्यू दी, जिसमें उसे शानदार सफलता मिली। 
 
फैमिली का मिला पूर्ण सहयोग
पिता महिन्द्र पाल शर्मा रिटायर्ड बिजनैसमैन हैं जबकि माता विनोद शर्मा एक गृहिणी हैं। दोनों ने सदा ही अपनी बेटी को आगे बढऩे के लिए न केवल प्रेरित किया बल्कि पूर्ण रूप से सहयोग भी दिया। उसकी बड़ी बहन पल्लवी और भाई विवेक शर्मा ने सदा ही उसे प्रोत्साहित किया। 
 
स्मार्ट स्ट्रैटेजी और निरंतर मेहनत से मिलती है सफलता  
सुमंगला का कहना है कि इस परीक्षा के लिए उसे जहां बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ी वहीं स्मार्ट स्ट्रैटेजी, राइटिंग एंड एनालिटिकल स्किल्स के अनुसार पढ़ाई करना जरूरी है। केवल पढ़ते रहना तथा कुछ न कुछ रटते रहने की बजाय अपने विषय को आत्मविश्वास के साथ समझना और याद रखना ही इस सफलता की स्मार्ट स्ट्रैटेजी है।
 
कैसे की इंटरव्यू की तैयारी? 
इसके लिए कुछ अलग से नहीं किया और न ही कहीं से कोचिंग ली बल्कि ग्रुप डिस्कशन की और पैनल्स में माक् इंटरव्यू से काफी मदद मिली। 
 
तैयारी से ही मिला इतना कांफिडैंस..
सुमंगला का कहना है कि उसे किसी ने भी यू.पी.एस.सी. की परीक्षा देने के लिए नहीं कहा और न ही किसी ने मोटीवेट किया। उसके अपने मन में जब अन्दर से ही कुछ नया कर दिखाने की सोच आई तो वह इस ओर तैयारी करने में लग गई। जैसे-जैसे तैयारी करती गई, आत्मविश्वास बढ़ता गया। 
 
हॉबी से समय बर्बाद नहीं होता, मिलती है ताजगी
उसे संगीत सुनना, बैडमिंटन खेलना और नावल पढऩा अच्छा लगता है परंतु उसने पढ़ाई के साथ-साथ अपनी हॉबी को भी पूरा किया। सुमंगला ने कहा कि हॉबी पढ़ाई में बाधा नहीं, बल्कि जीवन को रिफ्रैश कर देती है। कुछ बच्चे सोचते हैं कि अपने शौक को पूरा करने से समय खराब होता है जबकि ऐसा नहीं है।  

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