श्मशान में जलती हुई चिताओं के सामने बैठकर पढ़ना पसंद करती है ये छात्रा

Edited By ,Updated: 05 Jul, 2015 11:58 AM

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कई छात्र इतने भाग्यशाली होते हैं कि उन्हें स्कूल में पढऩे के लिए एक लाइब्रेरी नसीब हो जाए, कुछ के पास एयर कंडीशन्ड कमरों में परीक्षा की तैयारी करने का वैभव भी होता है परंतु महाराष्ट्र के बीड़ की 16 वर्षीय छात्रा पूजा घनसरवाद को अपनी पढ़ाई.....

कई छात्र इतने भाग्यशाली होते हैं कि उन्हें स्कूल में पढऩे के लिए एक लाइब्रेरी नसीब हो जाए, कुछ के पास एयर कंडीशन्ड कमरों में परीक्षा की तैयारी करने का वैभव भी होता है परंतु महाराष्ट्र के बीड़ की 16 वर्षीय छात्रा पूजा घनसरवाद को अपनी पढ़ाई श्मशान में करनी पड़ी जहां वह अपने परिवार के साथ रहती है ।ऐसे चुनौतीपूर्ण माहौल में रहने के बावजूद उसने 10वीं की परीक्षा में 91.2 प्रतिशत अंक हासिल किए । उसका कहना है कि श्मशान का माहौल लक्ष्य से उसका ध्यान भंग न कर सका ।

वह कहती है, ‘‘हमारा घर बहुत छोटा (10><10 फुट)  है जो एक श्मशान के प्रांगण में है । पढ़ने के लिए मैं हमेशा अपने घर के बाहर जलती हुई चिताओं के सामने बैठना पसंद करती हूं । इसकी एक वजह है कि घर में पूरी रोशनी नहीं है । तो मैं बाहर बैठ कर पढ़ती थी जहां चिता जलाने वाले स्थान के पास एक बड़ी लाइट लगी है । मुझे वहां कभी डर नहीं लगा । बाहर बैठ कर पढ़ते हुए मैंने कई अंतिम संस्कार देखे परंतु मेरा सारा ध्यान अपनी पढ़ाई में होता था ।

मैं रोज 7 से 8 घंटे पढ़ती थी ।’’गुजर-बसर के लिए पूजा की मां पुष्पा चूड़ियां, हेयर पिन तथा गुब्बारे बेचती है । उसके पिता मजदूर तथा भिक्षु (भिक्षा में दिए भोजन से गुजारा करने वाले) हैं । पूजा के दो भाई तथा दो बहनें हैं । उन सभी में से वह बड़ी है । उसके चारों भाई-बहन भी स्कूल जाते हैं ।राजश्री साहू कन्या विद्यालय की यह छात्रा गर्व से बताती है, ‘‘अपने समुदाय की मैं पहली लड़की हूं जिसे 10 वीं में इतने अच्छे अंक मिले हैं ।  

आमतौर पर हमारे यहां लड़कियों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित ही नहीं किया जाता परंतु मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे यही कहा कि अगर मैं पढ़-लिख गई तो मेरा जीवन संवर जाएगा । उन्होंने मुझसे वायदा किया कि वे मेरे लिए दिन-रात काम करने को भी तैयार हैं । वे मेरे भाई-बहनों को भी पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ।’’भविष्य की राह भी उसके दिमाग में पूर्णत: स्पष्ट है । वह कहती है, ‘‘मैं डॉक्टर बन कर समाज की सेवा करना चाहती हूं ।

मैंने विज्ञान विषयों का अध्ययन करने का फैसला किया है ताकि 12वीं के बाद मैं एम.बी.बी.एस. कर सकूं । अगर मैं पढ़ती हूं तो मेरे भाई-बहन भी पढ़ाई के लिए प्रेरित होंगे और वे अपने तथा परिवार के जीवन को संवार सकेंगे ।’’10वीं की परीक्षा में गणित में 100 में से 98 अंक प्राप्त करने वाली पूजा की पसंदीदा हॉबी पुस्तकें पढऩा है ।

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