Edited By ,Updated: 06 Jul, 2015 02:14 AM
सरकार ने रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को बल देने के मकसद से सेना के जवानों के लिए 2 दशक पुरानी स्वदेश निर्मित ‘इन्सास’ राइफलों की जगह 66,000 नई आधुनिक राइफलें आयात करने के लिए जारी की गई
नई दिल्ली: सरकार ने रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को बल देने के मकसद से सेना के जवानों के लिए 2 दशक पुरानी स्वदेश निर्मित ‘इन्सास’ राइफलों की जगह 66,000 नई आधुनिक राइफलें आयात करने के लिए जारी की गई वैश्विक निविदा रद्द कर दी है।
रक्षा मंत्रालय ने अब फैसला किया है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) के शस्त्र अनुसंधान एवं विकास स्थापना की प्रयोगशाला में विकसित ‘फ्यूचर इन्सास’ राइफलों को पुरानी इन्सास राइफलों की जगह लाया जाएगा। सेना के सूत्रों ने बताया कि इस कदम से जहां एक ओर सरकारी खजाने में करोड़ों रुपए की बचत होगी वहीं दूसरी ओर स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा भी मिलेगा। सेना के एक उच्च अधिकारी ने बताया, ‘‘हमने अपने बलबूते एक विश्वसनीय राइफल बना ली है। हम इस स्वदेशी हथियार के विकास के मौके का भरपूर लाभ उठाएंगे। हमारे पास इन्सास के इस्तेमाल का न्यूनतम से कहीं अधिक अनुभव है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि हमने कोई बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की हो पर हमें समझना चाहिए कि कम से कम आग्नेयास्त्रों के विकास के मामले में तो भारत किसी से कम नहीं है।’’ रक्षा मंत्रालय ने 25 करोड़ रुपए की लागत से 5.56 मिलीमीटर की असॉल्ट राइफलें खरीदने के प्रस्ताव मंगाने के लिए अनुरोध यानी निविदा जारी की थी।
सेना को 1990 के दशक में शामिल की गई पुरानी इन्सास राइफलों की जगह 5.56 मिलीमीटर की नई असॉल्ट राइफलों की सख्त आवश्यकता है। वैश्विक निविदा में नई राइफलों के आयात के साथ-साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का भी प्रावधान रखा गया था ताकि इसी लाइसैंस के अंतर्गत उनका स्वदेश में निर्माण करके भविष्य की जरूरतों को पूरा किया जा सके।