आतंकवाद से पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को 6.4 लाख करोड़ रुपए का नुक्सान

Edited By ,Updated: 06 Jul, 2015 09:11 PM

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आतंकवाद से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को 2004-05 से 2014-15 के बीच करीब 6.4 लाख करोड़ रुपए ...

नई दिल्ली: आतंकवाद से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को 2004-05 से 2014-15 के बीच लगभग 6.4 लाख करोड़ रुपए (करीब 100 अरब डॉलर) का  नुक्सान हुआ। यह जानकारी पाकिस्तान आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 से मिली है। यह राशि वर्तमान कैलेंडर वर्ष के आधार पर 1&4 साल के लिए पाकिस्तान की शिक्षा बजट के बराबर है।
 
2013-14 में देश को 6.63 अरब डॉलर नुक्सान हुआ, जिसमें से 38 फीसदी नुक्सान कर वसूली में हुआ और 30 फीसदी  नुक्सान विदेशी निवेश में गिरावट के कारण हुआ। पाकिस्तान का दावा है कि 11 सितंबर 2001 में अमरीका के विश्व व्यापार केंद्र पर हुए हमले के बाद अफगानिस्तान में पैदा हुई अस्थिरता से देश में आतंकवाद बढ़ा है।
 
अफगानिस्तान पर अमरीकी हमले के कारण पाकिस्तान के कबायली इलाकों में शरणार्थियों का आगमन बढ़ा। आर्थिक सर्वेक्षण में इसे आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि का एक प्रमुख कारण बताया गया है।
 
पाकिस्तान की विकास दर 2014-15 में 4.2 फीसदी थी। नई दिल्ली के इंस्टी‘यूट ऑफ कनफ्लिक्ट मैनेजमैंट से जुड़े एक संस्थान साउथ एशिया टेररि’म पोर्टल (एस.ए.टी.पी) के एक आंकड़े के मुताबिक 2005 से अब तक पाकिस्तान में आतंकवाद से संबंधित 54,960 मौतें हुई हैं।
 
गत एक दशक में इन मौतों में 748 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि आतंकवाद के कारण उत्पादन चक्र तहस-नहस हो गया है, निर्यात में व्यवधान पैदा हुआ है और कारोबारी लागत बढ़ी है। पाकिस्तानी उत्पाद प्रतिस्पर्धा में पिछड़ते जा रहे हैं।
 
सिडनी के थिंक टैंक इंस्टी‘यूट फॉर इकनॉमिक्स एंड पीस द्वारा प्रकाशित 2015 के वैश्विक शांति सूचकांक में 162 देशों पाकिस्तान को 154वां स्थान मिला है, जबकि भारत को 143वां स्थान दिया गया है। एसएटीपी के मुताबिक पश्चिमोत्तर पाकिस्तान का फेडरली-एडमिनिस्टर्ड ट्राइबल एरियाज (एफ.ए.टी.ए) देश के सबसे अधिक आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र हैं। 2014 में आतंकवाद से संबंधित आधी मौतें इसी क्षेत्र में हुर्इं।
 
इन मौतों में सिंध की 21 फीसदी और बलूचिस्तान की 12 फीसदी हिस्सेदारी रही। इसी क्षेत्र से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टी.टी.पी.) का संचालन होता है, जिसकी स्थापना 2007 में हुई थी। मौलाना फजलुल्लाह अभी इसका प्रमुख है।
 
यह अफगानिस्तान के तालिबान से अलग है, जिसकी स्थापना पाकिस्तान ने ही 1990 के दशक में की थी। गत वर्ष पेशावर में एक सैन्य स्कूल में टी.टी.पी. ने ही हमला किया था, जिसमें 130 से अधिक ब"ाों की मौत हो गई थी। यह हमला पाकिस्तानी सेना द्वारा 15 जून 2014 को आतंकवादियों के विरुद्ध शुरू किए गए जर्ब-ए-अ’ब अभियान के खिलाफ किया गया था। इस अभियान के तहत गत एक साल में 2,763 आतंकवादियों की मौतें हुई हैं।
 
अमरीकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक हालांकि पाकिस्तान का यह अभियान टीटीपी जैसे आतंकवादियों के कुछ खास समूहों के विरुद्ध ही है, जबकि अफगान तालिबान और हक्कानी नैटवर्क के आतंकवादियों को इसमें निशाना नहीं बनाया जा रहा है।
 
अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक इस अभियान में भारत विरोधी लश्कर-ए-तैयबा को भी निशाना नहीं बनाया जा रहा है, जबकि आतंकवाद भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़ा मुद्दा है।
 
(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारित मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। यहां प्रस्तुत विचार लेखक के अपने हैं।)
 

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