बकाया राशि के बदले चल रही रिटेल बाजार की नई करंसी

Edited By ,Updated: 09 Jul, 2015 02:03 AM

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शालिनी दुकानदार से सब्जी खरीद रही थी कि अचानक उसको एक चुभन का एहसास हुआ और उसकी चीख निकल गई। ...

जालंधर(शीतल जोशी): शालिनी दुकानदार से सब्जी खरीद रही थी कि अचानक उसको एक चुभन का एहसास हुआ और उसकी चीख निकल गई। आस-पास खड़े लोग देखने लगे कि आखिर माजरा क्या है-तो शालिनी ने देखा कि उसके पर्स से चींटियों की कतार उसके कपड़ों से होती हुई उसकी बाजू तक आई हुई है और उन्हीं के काटने से उसे दर्द का अहसास हुआ है। 
 
 
लोग उस दृश्य को देख कर उन्हें समझाने लगे कि मैडम पर्स में इतनी टाफियां रखोगी तो चींटियां तो लगेंगी ही। आखिर शालिनी भी क्या करती आजकल बाजार में करियाना, बेकरी, शापिंग माल्स, कैमिस्ट शाप, खाने-पीने की कैंटीन इत्यादि जैसी अधिकांश जगहों पर कुछ भी सामान की खरीददारी करने जाओ तो दुकानदार 1,2,5 और 10 रुपए देने की एवज में कोई टाफी, गोली, चाकलेट, वैफर्स इत्यादि ग्राहक को थमा देते हैं। कई बार तो उन गोलियों और टाफियों का मूल्य भी उतने का नहीं होती जितने की दुकानदार उन्हें वह चीजें देते हैं। ग्राहक अनमने मन से वह सब वस्तुएं ले तो लेता है लेकिन कई बार उसके लिए भी वह सब वस्तुएं बेकार ही जाती हैं। 
 
वैसे तो भारत में रिजर्व बैंक आफ इंडिया की ओर से तैयार की जाने वाली करंसी ही सामान की खरीदो-फरोख्त के लिए प्रयोग की जाती है। कुछ दुकानदार मुनाफा कमाने के चक्कर में टाफी और गोली को 1 से 10 रुपए तक के सिक्कों की एवज में ग्राहक को वापस करते हैं। ऐसे में ग्राहक न चाहते हुए भी अपने को ठगा हुआ महसूस करते हैं। कुछ समय पहले आई हिन्दी फिल्म ‘तुम मिलो तो सही’ में नाना पाटेकर ने 195 रुपए की एवज में सामान खरीदने के लिए अपना जूता दुकानदार को ऑफर किया था, देखने में तो वह बहुत विचित्र लगता है लेकिन सच्चाई यह है कि दुकानदार स्वयं ग्राहक को टाफियां, गोलियां या मसालों के  छोटे पैकेट कुछ पैसों की एवज में जरूर दे देते हैं पर अपनी बार ग्राहक से वह ऐसी वस्तुएं नहीं लेते।  
 
क्या कहते हैं दुकानदार? 
कृष्ण कुमार गुलाटी का कहना है कि बैंक से वह जब भी छुट्टे पैसे लेने जाते हैं, तो वहां से उन्हें 50-100 रुपए से अधिक सिक्के नहीं मिलते। बैंक अधिकारी उससे अधिक छुट्टे पैसे देने में असमर्थता जताते हैं, कि अन्य लोगों को भी सिक्के देने हैं। बैंक में लगी क्वाइन वैङ्क्षडग मशीन में पैसे तो कभी होते ही नहीं हैं, उन्हें तो वह मशीन ज्यादातर आऊट आफ आर्डर ही मिलती है। 
 
क्या कहते हैंबैंक अधिकारी?
बैंक अधिकारी राजन मल्हण का कहना है कि उनका प्रथम कत्र्तव्य ग्राहक को सर्वोत्तम सेवाएं मुहैया करवा कर संतुष्ट करना है। उनके बैंक में 1 रुपए से लेकर 10 रुपए तक के सिक्के होते हैं, जो भी कस्टमर या दुकानदार उनके पास सिक्के लेने आते हैं, वह उनकी जरूरत के हिसाब से उन्हें मुहैया करवा देते हैं। 
 
कैश अकाऊंटैंट हेमराज का कहना है कि उनके बैंक में क्वाइन वैंङ्क्षडग मशीन लगी हुई है, ग्राहक अपनी जरूरत के अनुसार वहां से सिक्के निकलवा सकते हैं। जब कभी मशीन में सिक्के खत्म हो जाएं तो बैंक अधिकारी उसे दोबारा भर देते हैं। बैंक कर्मी पुङ्क्षष्पद्र कुमार महाजन ने बताया कि उनके बैंक में लगी क्वाइन वैंडिग मशीन से ग्राहक एक बार में 100 रुपए की सिक्के ले सकतेे हैं जिसमें 1, 2 और 10 रुपए के सिक्के शामिल होते हैं। बैंक अधिकारी ग्राहकों को सेवाएं देने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं वह किसी को भी मशीन से सिक्के निकालने के लिए कभी मना नहीं करते। 

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