देवशयनी एकादशी: नरक में जाने से बचना चाहते हैं तो करें ये व्रत

Edited By ,Updated: 25 Jul, 2015 11:18 AM

devsyni ekadashi do they want to avoid going to hell fast

जैसे नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरुड़, यज्ञों में अश्वमेध यज्ञ, नदियों में गंगाजी, देवताओं में विष्णु तथा मनुष्यों में ब्राह्मण श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार समस्त व्रतों में एकादशी व्रत सर्वश्रेष्ठ है।

जैसे नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरुड़, यज्ञों में अश्वमेध यज्ञ, नदियों में गंगाजी, देवताओं में विष्णु तथा मनुष्यों में ब्राह्मण श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार समस्त व्रतों में एकादशी व्रत सर्वश्रेष्ठ है। इस संसार में एकादशी के समान कोई अन्य पुण्य नहीं है। समस्त पापों का नाश करने के लिए एकादशी का व्रत अवश्य ही करना चाहिए। जो भी एकादशी व्रत नहीं करता, उसे अवश्य ही नरक जाना पड़ता है।

सूर्यवंश के राजा मान्धाता बहुत प्रतापी थे व हर हालत में अपनी बात को पूरा करते थे। बहुत धार्मिक थे व प्रजा का लालन-पालन अच्छी तरह से करते थे।  उनके भजन-पूजन के प्रभाव से प्रजा को अकाल, महामारी, अति वर्षा, सूखा आदि दैविक कष्ट कभी नहीं हुए थे।   

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एक बार उनके यहां तीन वर्ष तक वर्षा नहीं हुई। इससे भुखमरी फैलने लगी। इसके कारण देश में यज्ञ, इत्यादि बन्द हो गए।

राजा को जब समझ में नहीं आया की ऐसा क्यों हुआ तो वह वन में तपस्या कर रहे बड़े-बड़े ॠषि-मुनियों के आश्रम में गए। भाग्यवश राजा को ब्रह्माजी के पुत्र अंगीरा ॠषि के दर्शन मिले। राजा ने उनको प्रणाम किया व प्रश्न किया- भगवन्! मैं शास्त्र- विधि अनुसार तथा धर्मशास्त्र के नियम अनुसार पृथ्वी का पालन कर रहा हूं, फिर भी मेरे राज्य में तीन वर्षों से वर्षा नहीं हो रही है। कृपा करके उसका कारण बताएं व ये समस्या कैसे खत्म होगी इसका उपाय भी बताएं।

ॠषि ने कहा - राजन्! सभी युगों में सत्ययुग श्रेष्ठ है। इस युग में चार पाद धर्म है। इस युग में ब्राह्मणों के सिवाय अन्य कोई तपस्या नहीं करता है। इस युग में यह नियम होने पर भी आपके राज्य में कोई शूद्र तपस्या कर रहा है। उसके द्वारा इस अनाधिकार कर्म करने के कारण ही तुम्हारे देश में वर्षा नहीं हो रही है। आप आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की 'पद्मा' या 'देवशयनी' एकादशी का व्रत कीजिए। उसके प्रभाव से आपके राज्य में वर्षा अवश्य होगी। यह एकादशी सब प्रकार के शुभ फल देने वाली है। सब सिद्धियों को देने वाली है तथा सब अमंगलों का नाश करने वाली है।  आप अपनी प्रजा एवं परिवार के सभी सदस्यों के साथ इस एकादशी का पालन कीजिए।

ये एकादशी विष्णु-शयनी एकादशी के नाम से भी प्रसिद्ध है। भगवान के उच्च कोटि के भक्त, भगवान की प्रसन्नता के लिए बड़ी श्रद्धा से एकादशी व्रतों का पालन करते हैं तथा व्रत करने के बदले वे भगवान से सांसारिक सुख, स्वर्गसुख, योगसिद्धि तथा मोक्ष आदि की अभिलाषा को छोड़कर केवल हरि-भक्ति व हरि-सेवा ही मांगते हैं।

प्रस्तुति: श्री भक्ति विचार विष्णु जी महाराज

bhakti.vichar.vishnu@gmail.com 

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