Edited By ,Updated: 25 Jul, 2015 02:45 PM
झगड़ा ऐसी बला है जो कोई नहीं चाहता। घर-परिवार में सभी चाहते हैं की हम मिल कर रहें लेकिन यह सोचना सिर्फ सोचना ही रह जाता है। एक ही परिवार के सदस्य आपस में लड़ते हैं तो
झगड़ा ऐसी बला है जो कोई नहीं चाहता। घर-परिवार में सभी चाहते हैं की हम मिल कर रहें लेकिन यह सोचना सिर्फ सोचना ही रह जाता है। एक ही परिवार के सदस्य आपस में लड़ते हैं तो घर एक सुख का स्थल न बनकर रण का स्थल बन जाता है इसके बहुत से कारण दिखाए देते हैं लेकिन चार बर्तन जहां होंगे वहां खट-खट होगी ही, इसमें चिन्ता करने की कोई बात नहीं है।
घर में झगड़ों का जो बाहरी कारण है वो यह है की घर में बड़ों का यानि माता-पिता, सास-ससुर अन्य बड़ों का सम्मान नहीं होता तथा जहां ऐसे लोग रहते होंगे जो अपने भाई, पड़ोसी या रिश्तेदारों की उन्नति को देखकर जलते होंगे तो वहां तो अशांति होगी ही। दूसरी बात जिस घर के सदस्यों ने अपने घर को क्लेश का अड्डा बना रखा होगा वहां भी कलह का होना अवश्यम्भावी है। अत: पारिवारिक झगड़ों से परेशान न होकर भगवान की शरण में जाएं।
आए दिन गृह क्लेश होने से जो दुख, कष्ट अथवा संताप होता है उसका कारण झगड़ा करने वाला व्यक्ति नहीं है बल्कि उसका मूल कारण है भगवद्- विमुखता या हमारे दुष्कर्म, बाकी तो निमित्त मात्र हैं। घर के सदस्य यदि आपसे या अन्य किसी से लड़ते हैं या प्यार करते हैं व उससे आपको जो दुख व सुख का अनुभव होता है उसका मूल कारण आपके कर्म ही हैं, वे तो सिर्फ निमित्त हैं।
भाग्य कर्मों के आधार पर निर्धारित होता है। घर में तो क्या संसार में सभी श्रेष्ठ होना चाहते हैं। अपनी श्रेष्ठता का दूसरों पर प्रदर्शन करना नुकसान पहुंचा सकता है। मात्र मनुष्य योनि में ही स्वतंत्र रूप से कर्म किए जा सकते हैं परंतु फल में इसका कोई अधिकार नहीं है, वो अधिकार भगवान ने अपने पास रखा है, वो कर्म के फल को कब देंगे व कैसे देंगे ये उन पर निर्भर करता है।
स्वामी बी. एस. निष्किचन जी महाराज