इन वास्तु टिप्स की मदद से पाएं व्यापारिक व सांसारिक सुख एवं समृद्धि में वृद्धि

Edited By ,Updated: 26 Jul, 2015 11:19 AM

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वर्तमान दौर में वास्तु का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है । हरेक के मन में वर्तमान प्रतिस्पर्धा के दौर में कुछ नया करने का जुनून सवार है । इसके लिए हर कोई अपने-अपने ढंग से सफलता के सोपान तय करना चाहता है...

वर्तमान दौर में वास्तु का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है ।  हरेक के मन में वर्तमान प्रतिस्पर्धा के दौर में कुछ नया करने का जुनून सवार है । इसके लिए हर कोई अपने-अपने ढंग से सफलता के सोपान तय करना चाहता है । इस क्षेत्र में कुछ ऐेसे सरल उपाय हैं जिनसे लाभ के अवसर बढ़ सकते हैं । व्यावसायिक प्रशिक्षण, शिक्षण संस्थान संचालित करने के लिए उत्तरमुखी कार्यालय अथवा दुकान धन लाभ एवं यश दोनों के लिए सर्वोत्तम रहता है ।

इसी प्रकार स्कूल, कालेज व अन्य शिक्षण संस्थान का मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर होना समृद्धि एवं यश वृद्धि करता है । ऐसेे संस्थान की प्रसिद्धि लंबे समय तक निरंतर बढ़ती ही रहती है । अपने व्यावसायिक परिसर में अनुपयोगी सामग्री, टूटी कुर्सियां ,  बंद घड़ियां इत्यादि नहीं रखनी चाहिएं ।  इन्हें तुरंत हटा देना या इनकी मुरम्मत करवा लेनी चाहिए । ये नकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करती हैं । परिसर में सृजनात्मक, सकारात्मक तथा प्रेरणादायक चित्र लगाने से धनात्मक ऊर्जा प्रवाहित होकर वास्तुदोष के कुप्रभाव को कम करते हैं ।

इससे व्यवसायी तथा उसके पारिवारिक सदस्यों का मनोबल बढ़ता है और व्यापार में भी उत्साह वद्र्धक प्रगति होती है । व्यावसायिक परिसर के पूर्व, उत्तर अथवा ईशान कोण में बगीचा लगाना परिवार में धन एवं सम्मान वृद्धि का प्रतीक माना जाता है जबकि नैऋत्य कोण तथा आग्नेय कोण में बगीचा आर्थिक एवं पारिवारिक चिंता व लाभ में कमी का कारण बनता है। यदि पूर्व, उत्तर, ईशान कोण में बगीचे लायक स्थान नहीं है तो वहां तुलसी, फूलदार पौधे, सजावटी पौधे गमले में लगाए जा सकते हैं ताकि व्यापारिक व सांसारिक सुख एवं समृद्धि में वृद्धि बनी रहे । 

अपने व्यावसायिक संस्थान में तिजोरी को उत्तर की ओर के कमरे में रखना लाभकारी है । तिजोरी कमरे की दक्षिणी दीवार से लगभग 2 से 3 इंच दूर तथा अग्निकोण एवं नैऋत्यकोण को छोड़ कर उत्तर दिशा की तरफ मुंह करते हुए रखना चाहिए । तिजोरी अथवा कैश बाक्स का पिछला हिस्सा दक्षिण की तरफ रखते हुए उत्तर दिशा में खुलने वाला हिस्सा रखना चाहिए । ऐसा करने से फालतू खर्चों पर अंकुश लगता है तथा धन आगमन में वृद्धि होती है ।

मुख्य तिजोरी दक्षिणी या पश्चिमी दीवारों से सटी हो तिजोरी को खाली न छोड़ें । कैशियर को उत्तर या पूर्व की तरफ मुंह करके बैठना चाहिए । इससे भी लाभ में वृद्धि होती है ।वसायिक परिसर, कारखाना परिसर में ईशान दिशा को छोड़ कर अन्य किसी दिशा में कुआं,गड्ढा स्वामी के लिए अशुभ होता है । इससे उस परिसर, भवन में व्यापार, निवास करने वालों को रोग, व्यर्थ खर्च तथा अनावश्यक मानसिक तनाव रहता है ।

उत्तर-पूर्व क्षेत्र में कुआं, ट्यूबवैल आदि रखते हुए अन्य स्थान को समतल रखना चाहिए ताकि किसी प्रकार की आर्थिक या स्वास्थ्य संबंधित कठिनाइयां न आएं । व्यावसायिक परिसर के मुख्य द्वार के बिल्कुल सामने वृक्ष होने से संतान की प्रगति में मुश्किलें आती हैं । अपने व्यापारिक परिसर, दुकान, आफिस को साफ-सुथरा रखें ।

धूल मिट्टी व जालों से कार्य क्षमता प्रभावित होती है तथा नकारात्मक  ऊर्जा बढ़ती है, कार्य से  मन भटकता है, और लाभ में कमी आती है । बेसमैंट में पार्किंग बनाने हेतु पूर्व व उत्तर में अधिक पश्चिम दक्षिण में कम जगह दें ।  पीने वाला पानी उत्तर-पूर्व व कैश काऊंटर उत्तर की तरफ होना चाहिए । जिस सामान को बेचना हो या उसका क्रय-विक्रय बढ़ाने हेतु उसे उत्तर-पश्चिम में रखना चाहिए ।

आफिस में बॉस को, दुकान में मालिक को दक्षिण-पश्चिम में बैठना चाहिए और बैठते समय मुंह पूर्व या उत्तर-पूर्व की तरफ होना लाभकारी है ।इससे काम व कार्य क्षमता में बढ़ोतरी होगी व कार्य स्थल का प्रभाव बढ़ेगा, कर्मचारी आज्ञा का पालन करेंगे, दुकान, दफ्तर व व्यापारिक परिसर का माहौल सौहार्दपूर्ण बना रहेगा ।

- विक्रांत शर्मा

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