जान लीजिए रावण के हेलिपैड का महा रहस्य

Edited By ,Updated: 29 Jul, 2015 03:44 PM

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अनुपम महाकाव्य महाऋषि वाल्मीकि रामायण को लेकर अक्सर लोगों के मन में कई सवाल पैदा होते है। लोगों के मन में अक्सर ये सवाल आते हैं कि इसमें बतलाएं गए स्थान, वर्णित कहानियां व घटनाएं किसी कवि द्वारा प्रस्तुत की गई कल्पनाएं हैं या फिर सच में ऐसा कुछ हुआ...

अनुपम महाकाव्य महाऋषि वाल्मीकि रामायण को लेकर अक्सर लोगों के मन में कई सवाल पैदा होते है। लोगों के मन में अक्सर ये सवाल आते हैं कि इसमें बतलाएं गए स्थान, वर्णित कहानियां व घटनाएं किसी कवि द्वारा प्रस्तुत की गई कल्पनाएं हैं या फिर सच में ऐसा कुछ हुआ था और लंकापति रावण के पास सच में कोई विमान था, ऐसे कई सवाल पैदा होते हैं परंतु ये बात सत्य है कि रावण के पास सिर्फ एक ही विमान नहीं था परंतु लंका में कई ऐसे विमान मौजूद थे जिनका प्रयोग लंकापति रावण करता था। 

वाल्मीकि रामायण में भी सबसे पहले प्राचीन विमान के रूप में पुष्पक विमान की चर्चा की गई है। रामायण में वर्णित है कि रावण पंचवटी से माता सीता का हरण करके पुष्पक विमान से लंका लेकर आया था। इस लेख के माध्यम से धार्मिक शास्त्रों व वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर हम अपने पाठकों को बताने जा रहे हैं की लंका में स्थित रावण के विमानो और उसके हेलिपैड के रहस्य के बारे में।  शास्त्र वाल्मीकि रामायण के अनुसार पुष्पक विमान में बैठकर लंकापति रावण ने सीता का हरण किया था। 

युद्ध उपरांत श्रीराम, सीता, लक्ष्मण व अपने अन्य सहयोगियों के साथ दक्षिण में स्थित लंका से अयोध्या पुष्पक विमान द्वारा ही आए थे। पुष्पक विमान पहले रावण के सौतेले बड़े भाई कुबेर के पास था परंतु रावण ने इसे बलपूर्वक हासिल कर लिया था। पुष्पक विमान का प्रारुप एवं निर्माण विधि ब्रह्मर्षि अंगिरा ने बनाई व निर्माण एवं साज-सज्जा भगवान विश्वकर्मा द्वारा की गई थी। इसी से वह 'देवशिल्पी' कहलाए थे। शास्त्रनुसार शिल्पाचार्य विश्वकर्मा ने ब्रह्मदेव हेतु दिव्य पुष्पक विमान की रचना की थी। विश्वकर्मा के पिता प्रभास वसु व माता योग सिद्धा थी। 

देवताओं हेतु विमान व अस्त्र-शस्त्र विश्वकर्मा जी द्वारा निर्मित हैं। रामायण अनुसार पुष्पक विमान की विशेषता यह थी कि इसका स्वामी जो मन में विचार करता था, उसी का यह अनुसरण करता था। पौराणिक विज्ञान खोजकर्ताओं की मान्यता है कि प्राचीन भारतीय विज्ञान आधुनिक विज्ञान की तुलना में अधिक संपन्न था।  वैदिक साहित्य में चाहें वो दैत्यों हो या मनुष्य उनके द्वारा उपयोग किया पहला विमान पुष्पक ही माना जाता है। 

इतना ही नहीं लंका में विमानों को रखने के लिए हवाईअड्डे भी बनाएं हुए थे जिसका जिक्र रामायण में भी किया गया है और इस बात का प्रमाण श्रीलंका के रामायण अनुसंधान कमेटी के वैज्ञानिकों ने 4 हवाई अड्डों की खोज करके दे दिया हैं। इस कमेटी ने 9 सालों से लंका का कोना-कोना छानकर इन हवाई अड्डों की खोज की है ।

2004 में लंका में स्थित अशोक वाटिका की खोज करने वाले अशोक केंथ जिनको 
सरकार द्वारा कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था उनका कहना है कि रामायण में वर्णित लंका वास्तव में श्री लंका ही है जहां  उसानगोडा, गुरुलोपोथा, तोतुपोलाकंदा तथा वरियापोला नामक चार हवाई अड्डे मिले हैं। दक्षिण भारत की कुछ रामायण अनुसार रावण का निजी हवाई अड्डा उसानगोडा था जिसे हनुमान जी ने माता सीता की खोज करते समय नष्ट कर दिया था तथा श्री राम ने अयोध्या पहुंचने के उपरांत पुष्पक विमान को पुनः कुबेर को लौटा दिया था।

 

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