Edited By ,Updated: 28 Jul, 2015 08:25 AM
देवशयनी एकादशी संसार के पालनहार भगवान विष्णु जाएंगे पाताल लोक में राजा बलि के घर विश्राम करने। शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक
देवशयनी एकादशी संसार के पालनहार भगवान विष्णु जाएंगे पाताल लोक में राजा बलि के घर विश्राम करने। शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक पाताल में बलि के महल में निवास करते हैं। इस दौरान 27 जुलाई से लेकर 21 नवंबर तक शुभ कामों पर लगेगा विराम। ज्योतिषाचार्य कहते हैं अब देवउठनी एकादशी (22 नवंबर) से मांगलिक कार्यों का शुभ आरंभ होगा।
सावन, भादौ, अश्विन व कार्तिक मास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत नीवं मुहर्त आदि शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। पंडितों का मानना है की अवश्यक हो तो भोलेनाथ का नाम लेकर शुभ काम किया जा सकता है क्योंकि इन चार महीनों में भगवान शिव की शक्तियां बढ़ जाती हैं।
धार्मिक कार्यों का आधार भगवान विष्णु ही हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने से श्री हरि का आशीर्वाद स्वयं ही प्राप्त हो जाता है। एक पूजा से प्राप्त होता है दो देवों का वरदान। इन चार महीनों में सभी तीर्थ ब्रज में आ कर निवास करते हैं इसलिए ब्रज यात्रा करने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त व्रत, हवन, दान, श्रीहरिनाम संकीर्तन, भगवद्कथा के श्रवण व कीर्तन का अन्य दिनों से अधिक फल मिलता है।