पी-नोट्स पर मचे घमासान से गिरा बाजार

Edited By ,Updated: 27 Jul, 2015 04:43 PM

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पार्टिसिपेट्री नोट्स (पी-नोट्स) के जरिए होने वाले निवेश को प्रतिबंधित करने की विशेष जांच दल (एस.आई.टी.) की सिफारिश के साथ ही

मुंबईः पार्टिसिपेट्री नोट्स (पी-नोट्स) के जरिए होने वाले निवेश को प्रतिबंधित करने की विशेष जांच दल (एस.आई.टी.) की सिफारिश के साथ ही चीन के बाजार में 8 प्रतिशत तक गिरने से हतोत्साहित विदेशी निवेशकों की चौतरफा बिकवाली से आज घरेलू शेयर बाजार करीब दो प्रतिशत लुढ़ककर दो सप्ताह से अधिक के न्यूनतम स्तर पर बंद हुआ। 

बी.एस.ई. का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सैंसेक्स 550.93 अंक अर्थात 1.96 प्रतिशत टूटकर 9 जुलाई के बाद 28 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 27561.38 अंक पर और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एन.एस.ई.) का निफ्टी 160.55 अंक यानि 1.88 प्रतिशत गिरकर 8400 अंक के स्तर से उतरकर 10 जुलाई के बाद के निचले स्तर 8361 अंक पर रहा। 

उच्चतम न्यायालय द्वारा विदेशों में जमा काले धन की जांच के लिए गठित एस.आई.टी. की जारी रिपोर्ट में पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को निवेश के लिए पी-नोट्स के इस्तेमाल के नियम को सख्त बनाते हुए इसके निवेशकों की सही पहचान करने और उसके हस्तांतरण को रोकने की सिफारिश से हतोत्साहित निवेशकों की भारी बिकवाली के कारण शेयर बाजार चारो खाने चित हो गया।  

वित्तमंत्री अरुण जेतली ने पी नोट्स पर निवेशको से नहीं हडबडाने की भी अपील की लेकिन यह बयान भी निवेशकों का विश्वास नहीं लौटा पाई। वित्त मंत्री ने इससे देश में निवेश का माहौल खराब होने का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में सरकार जल्दबाजी में और सोच-विचार किए बिना कोई भी फैसला नहीं करेगी। पी नोट्स का लेकर बनी दुविधा वाली स्थिति के साथ ही चीन में एक बार फिर आर्थिक परिदृश्यों को लेकर बनी आशंका ने भी निवेशकों को बिकवाली के लिए मजबूर कर दिया जिससे सैंसेक्स और निफ्टी दोनो भारी गिरावट लेकर बंद हुए।

इसके साथ ही पावर फाइनेंस कार्पोरेशन में सरकार के 5 प्रतिशत विनिवेश के लिए आज खुले आफर फार सेल (ओ.एफ.एस.) के लिए बाजार दर से कम आधार मूल्स तय किए जाने का असर भी बाजार हुआ और पीएफसी के शेयर गिरावट में रहे। इसके अलावा कंपनियों के चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के परिणाम, विपक्ष के हंगामे के कारण मानसून सत्र में संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल पाने के कारण सरकार के महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) विधेयक के अटकने की आशंका से हताश निवेशकों की कमजोर निवेशधारणा का असर भी बाजार पर पड़ा। 

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