Edited By ,Updated: 27 Jul, 2015 07:39 PM
उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लडऩे के क्रम में निलंबित किए गए आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर की अर्जी पर केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की लखनऊ पीठ ने सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लडऩे के क्रम में निलंबित किए गए आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर की अर्जी पर केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की लखनऊ पीठ ने सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। ठाकुर ने अपनी अर्जी में उनपर लगाए गए आरोपों की जांच अधिकारी वी.के. गुप्ता को नामित किए जाने को दी चुनौती दी है। गुप्ता उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष हैं। न्यायिक सदस्य नवनीत कुमार की पीठ ने ठाकुर और राज्य सरकार के अधिवक्ता सुदीप सेठ की बहस सुनने के बाद यह आदेश दिया और गुरुवार तक फैसला घोषित करने की बात कही।
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश सरकार ने ठाकुर को 13 जुलाई को निलंबित करते हुए 14 जुलाई को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया था। वहीं ठाकुर ने इसे चुनौती देते हुए कहा था कि अखिल भारतीय सेवा अनुशासन एवं अपील नियमावली के नियम 8(6) के अनुसार, किसी आईपीएस अफसर के खिलाफ जांच अधिकारी तभी नियुक्त किया जा सकता है, जब उसके द्वारा नियम 8(5) में आरोपों का जवाब दे दिया गया हो।
अमिताभ को 13 जुलाई को आरोपपत्र जारी किया गया था, जो उन्होंने 15 जुलाई को प्राप्त किया। लेकिन ठाकुर 16 जुलाई को अपना जवाब दाखिल करते, उससे पहले ही गुप्ता को जांच अधिकारी नामित कर दिया गया, जो न्याय संगत नहीं है। अभियोजन पक्ष के वकील सुदीप सेठ ने अपनी बहस में कहा कि जब बाद में जांच अधिकारी नियुक्त होना ही था, तो जवाब दाखिल किए जाने से पहले ही नियुक्त हो जाने से कोई अंतर नहीं पड़ता। उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने सुनवाई का अवसर मांगे जाने का भी विरोध किया।