जारी है अरविन्द केजरीवाल का ‘संघर्ष’

Edited By ,Updated: 28 Jul, 2015 02:09 AM

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यह बंदा हार नहीं मानने वाला। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का केन्द्र के साथ टकराव लगातार जारी है और उनका आरोप है

(दिलीप चेरियन): यह बंदा हार नहीं मानने वाला। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का केन्द्र के साथ टकराव लगातार जारी है और उनका आरोप है कि केन्द्र उनकी राह में रोड़े अटका रहा है और एक तरह से समानांतर सत्ता चलाई जा रही है। दिल्ली के लैफ्टिनैंट गवर्नर नजीब जंग के साथ जारी अपने संघर्ष में उन्हें लगातार हार-जीत मिली है लेकिन अब वे राजधानी में बढ़ते अपराध और महिलाओं की सुरक्षा में व्यापक कमी के मुद्दे पर दिल्ली पुलिस से सीधी भिड़ंत के लिए तैयार हो रहे हैं।

दिल्ली पुलिस आयुक्त  बी.एस. बस्सी  ने केजरीवाल से मुलाकात कर मुद्दे पर बातचीत की और पुलिस कर्मियों का बचाव किया, पर कोई स्पष्ट सहमति नहीं बन पाई क्योंकि बस्सी ने मुलाकात के बाद कुछ अलग सुरों में टिप्पणियां कीं। दिलचस्प है कि मुख्यमंत्री से मुलाकात से पहले बस्सी की मुलाकात जंग से भी हुई और ऐसे में साजिशें सूंघने वालों को भी काफी मसाला मिल गया। 
 
‘आप’ सरकार लगातार वाद-विवाद करते हुए तर्क दे रही है कि दिल्ली पुलिस को उसके नियंत्रण में होना चाहिए और मोदी सरकार लगातार केजरीवाल सरकार की इस मांग को नजरअंदाज कर रही है। केजरीवाल और उनकी पार्टी के कई नेताओं का तर्क है कि खाकी वर्दी वाले पुलिस कर्मियों में उनकी पार्टी और सरकार के प्रति बदले की भावना भरी गई है और पुलिस ‘आप’ को निशाना बना रही है। इस पर बस्सी सहमत नहीं हैं और वे अपने स्टैंड पर अड़े हुए हैं। ऐसे में दिल्ली में इस मसले का समाधान जल्द होता नहीं दिख रहा है। 
 
पसंद करें या न करें!
यह शायद सोशल मीडिया के दौर में ही संभव है कि नौकरशाही पदों के लिए जोर-आजमाइश को फेसबुक और ट्विटर पर आगे बढ़ाया जाए। स्पष्ट है कि बाबू तेजी से सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं लेकिन वे संकोच भी कर रहे हैं। उत्तराखंड के मुख्य सचिव इस समय केन्द्र में हैं क्योंकि इस पद के संभावित दावेदारों के समर्थकों और विरोधियों के बीच इस समय फेसबुक पर कड़ी जोर-आजमाइश और जंग चल रही है। सूत्रों का कहना है कि वर्तमान मुख्य सचिव रवि शंकर अगले सप्ताह रिटायर हो रहे हैं और ऐसे में एडीशनल मुख्य सचिव राकेश शर्मा को इस संघर्ष में सफलता दिलाने को लेकर माहौल बन रहा है। 
 
एक तरफ राज्य सरकार इस पूरे मामले में अपने होंठ सिल कर बैठी है और 2 समूह लगातार फेसबुक पर इस मामले को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं।  प्रमुख उम्मीदवार शर्मा के एक समर्थक उनके पक्ष में सक्रिय हैं तो एक विरोध में ! शर्मा 1981 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी हैं। सूत्रों का कहना है कि एक अन्य प्रतिद्वंद्वी लगातार इस पद को पाने के लिए अपनी मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी अमरिंद्र सिन्हा, जो कि इस समय केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं, के नाम पर भी इस पद के लिए विचार हो रहा है। अभी यह किस्सा खत्म नहीं हुआ!
 
देवयानी खोबरागड़े, भारतीय विदेश सेवा (आई.एफ.एस.) की अधिकारी हैं, जिन्होंने 2013 में भारत के अमरीका के साथ रिश्तों को करीब-करीब पूरी तरह से तारपीडो कर दिया था, अब एक नई मुसीबत में हैं। विदेश मंत्रालय (एम.ई..ए) ने खोबरागड़े  को अमरीका से भारत वापस लाने के लिए अपना पूरा जोर लगा दिया था क्योंकि उन्हें वहां पर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और उन पर वीजा जालसाजी का आरोप था, जिसके चलते उन्हें वहां पर सजा भी हो सकती थी।
 
सूत्रों का कहना है कि सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक शपथ देकर कहा है कि इस कूटनीतिज्ञ ने विदेश मामले मंत्रालय को सूचित किए बिना अपनी दोनों बेटियों के लिए अमरीकी और भारतीय पासपोर्ट हासिल कर ‘संदेहास्पद कदम’ उठाए थे। शपथपत्र में दावा किया गया है कि उन्होंने ‘सब कुछ जानते हुए सरकारी नियमों और प्रावधानों का उल्लंघन’ किया है और ऐसे में उनकी ईमानदारी और भरोसे को लेकर सवाल उठ रहे हैं। दिलचस्प है कि खोबरागड़े, जिन्हें मंत्रालय ने पिछले साल दिसम्बर में ही सभी दायित्वों से मुक्त कर दिया था और उन्हें ‘जबरन प्रतीक्षा’ करने के लिए कहा गया था, को बीते माह ही विदेश सचिव एस.जयशंकर ने फिर से बहाल कर दिया था। उन्हें महत्वपूर्ण स्टेटस डिवीजन का डायरैक्टर भी बनाया गया। पर, इस शपथपत्र से स्पष्ट संकेत है कि उनकी मुश्किलें अभी तक खत्म नहीं हुई हैं। 
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