रहस्य: ऐसे बनता है एक व्यक्ति आम आदमी से सेलिब्रिटी ?

Edited By ,Updated: 28 Jul, 2015 09:01 AM

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"हाथों की चंद लकीरों का ये खेल है बस तकदीरों का" कहते हैं हाथों की लकीरों में हमारी तकदीर पहले से ही लिखी होती है। ज्योतिषशास्त्र अनुसार आपका आने वाला समय कैसा होगा, आपका गुजरा हुआ कल कैसा था और आप अपने जीवन में कितने सफल रहेंगे या कितने संघर्ष के...

"हाथों की चंद लकीरों का ये खेल है बस तकदीरों का" कहते हैं हाथों की लकीरों में हमारी तकदीर पहले से ही लिखी होती है। ज्योतिषशास्त्र अनुसार आपका आने वाला समय कैसा होगा, आपका गुजरा हुआ कल कैसा था और आप अपने जीवन में कितने सफल रहेंगे या कितने संघर्ष के बाद आप को सफलता मिलेगी जैसी कई बातें जान सकते हैं। ज्योतिषशास्त्र अनुसार व्यक्ति की कुंडली में कई ऐसे योग बनते हैं, जो आपको भी भविष्य में सेलिब्रिटी बना सकते हैं। हो सकता है आपके भविष्य में भी कुछ ऐसा ही छुपा हो और आप उससे अनजान हों। यहां हम ऐसे ही एक योग रूचक योग की बात कर रहे हैं। आज के परिवेश में यह जाना बहुत आवश्यक हो गया है की जीवन में व्यक्ति को कितना सुख व प्रसिद्धि मिलेगी। आइए इस लेख के मध्याम से हम अपने पाठकों को बताते हैं कैसे मंगल ग्रह से बनने वाले इस रुचक योग के कारण व्यक्ति अपनी व्यक्तित्व, लूक्स व इंटेलिजेंस के आधार पर सभी को आकर्षित कर जीवन में कामसुख, ऐश्वर्य व सफलता प्राप्त करता है। 

ज्योतिषशास्त्र के खगोल खंड अनुसार सौर्यमंडल में पृथ्वी का परिभ्रमण पथ मंगल व शुक्र के बीच है। परिभ्रमण पाठ पर मंगल कभी पृथ्वी के बहुत निकट व कभी बहुत दूर हो जाता है। अतः मंगल हमारी पृथ्वी से कभी छोटा व कभी बड़ा दिखता है। यह 687 दिनों में सूर्य की प्ररिक्रमा करता है। मंगल उदित होने के 10 माह बाद वक्री होता है फिर 2 माह के बाद मार्गी होकर 22 माह बाद अस्त हो जाता है। ज्योतिषशास्त्र के दार्शनिक खंड अनुसार मंगल शौर्य व साहस का प्रतीक है। यदि कुंडली में मंगल बली व शुभ हो तो शक्ति, आकर्षण व भूसंपत्ति देता है व व्यक्ति को तेजस्वी, बलवान, निपुण, आकर्षक, पराक्रमी व नायक बनाता है। यदि मंगल निर्बल व अशुभ प्रभाव में हो तो जातक को बदसूरत, क्रोधी, कुकर्मी व धोखेबाज बनाता है।

कालपुरुष सिद्धांत अनुसार मंगल तीसरे व छठे भाव का कारक है। यदि मंगल स्वयं राशि या उच्च का होकर केंद्र में स्थित हो तो "रूचक योग" बनता है जिसमें उत्पन्न एक आम व्यक्ति भी सेलिब्रिटी बन जाता है। वैदिक ज्योतिष में रूचक योग की परिभाषा के अनुसार मंगल यदि कुंडली में लग्न या चंद्र से केंद्र में स्थित हों अर्थात मंगल यदि कुंडली में लग्न या चंद्र से 1, 4, 7 या 10वें घर में मेष, वृश्चिक या मकर राशि में स्थित हों तो ऐसी कुंडली में रूचक योग बनता है जिसका शुभ प्रभाव जातक को शारीरिक बल व स्वास्थ्य, सुंदरता, आकर्षण, पराक्रम, तीव्र निर्णायक क्षमता प्रदान करता है। रूचक योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले व्यक्ति अपनी व्यक्तित्व व लूक्स के आधार परव्यवसायिक क्षेत्रों में धन व प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। 

कुंडली में रुचक योग बनने के साथ ही तीन परिस्थितियों में व्यक्ति मांगलिक भी बन जाता है। मंगल जब पहले, चौथे, सातवें भाव में विराजित होता हैं तो रुचक योग के साथ-साथ मांगलिक दोष भी बनता है, परंतु पर ध्यान देने योग्य बात यह है की कुंडली में मंगल शुभ है या अशुभ। मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु व मीन राशि के लिए मंगल शुभ होता है मकर व कुंभ हेतु सम होता है तथा वृष, मिथुन। कन्या, तुला हेतु अशुभ होता है। ऐसी परिस्थिति जहां मंगल कर्क, मिथुन कन्या व तुला में बैठकर 1, 4, या 7 स्थान में बैठा हो तो रुचक योग का प्रभाव नगण्य हो जाता है तथा मांगलिक दोष का प्रभाव बढ़ जाता है। अतः कुंडली में रूचक योग बनने अथवा मांगलिक दोष बनने के बीच का अंतर मुख्यतया कुंडली में मंगल का शुभ अथवा अशुभ होना ही होता है जिसके कारण रूचक योग बनाने के लिए मंगल का कुंडली में शुभ होना अति आवश्यक है क्योंकि अशुभ मंगल कुंडली में रूचक योग के स्थान पर मांगलिक दोष बना सकता है। 

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 

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