ऊर्जावान होने के लिए ध्यान का अधिक लाभ कैसे पाएं?

Edited By ,Updated: 28 Jul, 2015 03:54 PM

get more out of consideration for being energetic how

मन के जरिए ध्यान तक नहीं पहुंचा जा सकता। ध्यान इस बात का बोध है कि मैं ‘मन’ नहीं हूं। ध्यान चेतना की खालिस अवस्था है जहां न विचार होता है, न कोई विषय। अमूमन हमारी चेतना विचारों से, विषयों से, इच्छाओं से भरी रहती है जैसे कि कोई शीशा धूल से ढका हो।

मन के जरिए ध्यान तक नहीं पहुंचा जा सकता। ध्यान इस बात का बोध है कि मैं ‘मन’ नहीं हूं। ध्यान चेतना की खालिस अवस्था है जहां न विचार होता है, न कोई विषय। अमूमन हमारी चेतना विचारों से, विषयों से, इच्छाओं से भरी रहती है जैसे कि कोई शीशा धूल से ढका हो। हमारा मन एक लगातार बहते रहने वाली चीज है। विचार चल रहे हैं, कामनाएं चल रही हैं, पुरानी यादें सरक रही हैं। नींद में भी हमारा मन चलता रहता है। सपने चलते रहते हैं। यह अ-ध्यान की अवस्था है। इससे उलटी अवस्था ध्यान की है।

जब कोई विचार नहीं चलता और कोई कामना सिर नहीं उठाती। जब मन नहीं होता, तब ध्यान होता है। मन के जरिए ध्यान तक नहीं पहुंचा जा सकता। ध्यान इस बात को जान लेना है कि मैं ‘मन’ नहीं हूं। जब मन में कुछ भी चलता नहीं, उन शांत पलों में ही हमें खुद की सत्ता की अनुभूति होती है। 
 
धीरे-धीरे ध्यान हमारी सहज अवस्था हो जाती है। मन असहज अवस्था है, जिसे हमने पा लिया है। ध्यान हमारी सहज अवस्था है लेकिन हमने उसे खो दिया है, मगर इसे फिर पाया जा सकता है।
 
किसी बच्चे की आंखों में झांकें, वहां आपको एक खास तरह की शांति और पवित्रता दिखेगी। हर बच्चा ध्यान में है, लेकिन उसे समाज के रंग-ढंग सीखने पड़ते हैं। विचार करना, तर्क करना, शब्द, भाषा, व्याकरण सब। धीरे-धीरे वह अपनी सरलता से दूर हटता जाएगा, ध्यान से हटता जाएगा। उसकी कोरी स्लेट समाज की लिखावट से गंदी होती जाएगी। उस निर्दोष सहजता को फिर पाने की जरूरत है। हम उसे भूल गए हैं।  हीरा कूड़े-कचरे में दब गया है लेकिन हम जरा खोदें तो हीरा फिर हाथ में आ सकता है क्योंकि वह हमारा स्वभाव है। 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!