Edited By ,Updated: 28 Jul, 2015 11:11 PM
उच्चतम न्यायालय मंगलवार को उस नाबालिग बलात्कार पीड़िता के बचाव में आया जिसे उच्च न्यायालय ने गर्भपात की अनुमति देने से मना कर दिया था। न्यायालय ने कहा कि अगर स्त्री रोग विशेषज्ञ और क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक इसकी अनुमति देते हैं तो जरूरी सर्जरी की जा...
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय मंगलवार को उस नाबालिग बलात्कार पीड़िता के बचाव में आया जिसे उच्च न्यायालय ने गर्भपात की अनुमति देने से मना कर दिया था। न्यायालय ने कहा कि अगर स्त्री रोग विशेषज्ञ और क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक इसकी अनुमति देते हैं तो जरूरी सर्जरी की जा सकती है।
नाबालिग लड़की तब गर्भवती हो गई जब उसके चिकित्सक जतिन भाई के मेहता ने फरवरी में टाइफॉयड का इलाज कराने के दौरान आने पर उससे कथित तौर पर बलात्कार किया। गुजरात उच्च न्यायालय ने उसे गर्भपात कराने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था।
शुरुआत में न्यायमूर्ति ए आर दवे और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ ने कहा कि वह ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहेंगे जो कानून के विपरीत है।
हालांकि, नाबालिग पीड़िता की ओर से उपस्थित अधिवक्ता कामिनी जायसवाल को सुनने के बाद पीठ ने कहा कि वह अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल के अधिकारियों को निर्देश देगी कि वह दो सर्वाधिक वरिष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञों और एक क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक से लड़की का परीक्षण कराए।
न्यायालय ने कहा, ‘अगर वे (विशेषज्ञ) कहते हैं कि लड़की का ऑपरेशन किया जाना चाहिए तो लड़की और उसके माता-पिता की सहमति से उन्हें ऐसा करने दिया जाए।’ पीठ ने कहा कि अगर गर्भपात नहीं किया तो उसकी जान को गंभीर खतरा होने का मामला है तो सर्जन और क्लिनिकल विशेषज्ञ साथ मिलकर उसका गर्भपात करने पर फैसला कर सकते हैं।
पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि गर्भपात की स्थिति में भ्रूण की डीएनए जांच की जानी चाहिए, जो बलात्कार के मुकदमे में मदद कर सकता है।