अपने जीवनसाथी को नॉर्मल महसूस करवाने के लिए करें कुछ एेसा

Edited By ,Updated: 31 Jul, 2015 06:08 PM

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जब जीवनसाथी लंबी बीमारी से जूझते हुए अस्पताल में दाखिल हो, तो वह दौर सच में काफी कष्टदायक हो जाता है । यही वह समय होता है कि या तो रिश्ता उम्र भर के लिए अटूट बंधन में बंध जाता है या फिर दोनों में से कोई एक तलाक ले कर अलग हो जाता है.....

जब जीवनसाथी लंबी बीमारी से जूझते हुए अस्पताल में दाखिल हो, तो वह दौर सच में काफी कष्टदायक हो जाता है । यही वह समय होता है कि या तो रिश्ता उम्र भर के लिए अटूट बंधन में बंध जाता है या फिर दोनों में से कोई एक तलाक ले कर अलग हो जाता है । पति-पत्नी में से कोई एक भी किसी गंभीर बीमारी के चलते अस्पताल में दाखिल हो जाए तो बहुत से लोग हताश और परेशान हो जाते हैं ।

उनके मन में यही चलता है कि यदि कुछ हो गया तो वे क्या करेंगे, जिंदगी किस तरह से चलेगी या घर कैसे चलेगा? ये सब बातें अलग हो जाने का कारण भी बनती हैं । ऐसा नहीं कि सब लोग यही सोच रखते हैं, बहुत से ऐसे दम्पति हैं जो बुढ़ापे में भी अपने जीवन साथी का साथ किसी हालत में नहीं छोड़ते और न ही दूसरे को उम्मीद का दामन छोड़ने देते हैं ।

हिम्मत हारने से बेहतर है ऐसे समय में कुछ ऐसे तरीके अपनाएं, जिससे कि आप अपने जीवनसाथी को नॉर्मल महसूस करा पाएं । मरीज चाहे युवा हो या वृद्ध, उसे बीमारी की हालत में एक ही बात परेशान करती है कि उसके साथ ही ऐसा क्यों हुआ या अब यह बीमारी साथ नहीं छोड़ने वाली । उसे ऐसी मानसिकता से बाहर निकालें ।

यदि वह बैड रैस्ट पर है तो आप उसके साथ अंताक्षरी या पजल खेल सकते हैं, उसकी पसंदीदा विषयों वाली पुस्तकें पढ़ कर सुना सकते हैं । ऐसा अक्सर होता है कि बीमारी में लोगों से मिलने को दिल नहीं करता, यहां तक कि मरीज की देखभाल में लगे इंसान को भी मेहमानों का आना अखरता है क्योंकि उनकी खातिरदारी से उसका काम ही बढ़ता है परंतु आप अपने घर पर दोस्तों एवं रिश्तेदारों को अवश्य आमंत्रित करते रहें क्योंकि लोगों के आने-जाने एवं उनसे बातें करने पर बीमार की सेहत पर सकारात्मक असर पड़ता है ।इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि हर समय बीमारी पर ही चर्चा न हो, बल्कि ऐसी चर्चा होने पर टॉपिक ही बदल दें ।

किसी भी मरीज का खाना दैनिक खाने से काफी अलग हो जाता है, सो अपने खाने में धीरे-धीरे परिवर्तन ले आएं । यदि उन्हें ज्यादा चीनी, नमक, मसाले एवं घी से परहेज करने को कहा है, तो उस पर पूरी तरह से अमल करें, धीरे-धीरे इन सब की मात्रा घटाते हुए उसे साधारण खाने तक लाएं । 

यदि मरीज घर पर ही बैड रैस्ट पर है तो उसे रूटीन चैकअप के लिए जरूर ले जाएं तथा डॉक्टर की हिदायतों को लेकर कोई लापरवाही न बरतें । उनकी तबीयत में जब भी सुधार दिखे, तो उन्हें इस बारे में अवश्य बताएं कि अब तो तुम्हारी तबीयत में सुधार हो रहा है तथा तुम जल्दी ही ठीक हो जाओगे ।     

—हेमा शर्मा, चंडीगढ़

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