बीयरबार और डिस्को चलाने वाले बाबा को बनाया महामंडलेश्वर

Edited By ,Updated: 03 Aug, 2015 02:31 AM

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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एन.सी.आर.) के सबसे बड़े डिस्को व बीयर बार के संचालक सचिन दत्ता उर्फ सच्चिदानंद गिरि को परसों संतों की नगरी इलाहाबाद में प्रदेश सरकार के 2 मंत्रियों की उपस्थिति में महामंडलेश्वर की पदवी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

सहारनपुर: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एन.सी.आर.) के सबसे बड़े डिस्को व बीयर बार के संचालक सचिन दत्ता उर्फ  सच्चिदानंद गिरि को परसों संतों की नगरी इलाहाबाद में प्रदेश सरकार के 2 मंत्रियों की उपस्थिति में महामंडलेश्वर की पदवी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। महामंडलेश्वर की उपाधि देने वाले अखाड़ा परिषद ने उनसे जुड़े तथ्यों की पड़ताल का फैसला लिया है। 

संतों की तपोभूमि इलाहाबाद परसों गुरु पूर्णिमा के दिन संतों के ही बीच महामंडलेश्वर की पदवी पाने वाले सचिन दत्ता उर्फ  सच्चिदानंद महाराज का नाम नोएडा के सैक्टर 18 में बीयर बार और डिस्को संचालन के साथ बालाजी कांस्ट्रक्शन के नाम से रियल एस्टेट के बड़े कारोबार से जुड़े होने का मामला सामने आया है। 

उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव तथा ओम प्रकाश सिंह की मौजूदगी में इनका पट्टाभिषेक भी हुआ। परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि यदि किसी वर्ग में उंगली उठाई गई है तो जांच कराई जाएगी। यदि सच्चिदानंद के बारे में आपत्तिजनक बात सामने आती है तो उनकी पदवी वापस ले ली जाएगी। महामंडलेश्वर की पदवी पाने वाले सच्चिदानंद नोएडा के सैक्टर 18 में बीयर बार के साथ ही एक डिस्को के संचालक हैं। 

बताया जाता है कि यह डिस्को एन.सी.आर. का सबसे बड़ा डिस्को है। सच्चिदानंद गिरि के समर्थकों का दावा है कि वह 22 वर्ष की उम्र से ही संन्यासी हो गए थे। गाजियाबाद के मूल निवासी सचिन दत्ताने कैलाशानंद के सान्निध्य में संन्यास लिया था और उनका नाम सच्चिदानंद ब्रह्मचारी पड़ा। कैलाशानंद की अनुसंशा से ही उन्हें निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया। 

बकौल नरेंद्र गिरि यदि सच्चिदानंद ने संन्यास धर्म ग्रहण करने के बाद घर-परिवार तथा व्यवसाय से खुद को अलग कर लिया है तो उनके मनोनयन में कहीं कोई दिक्कत नहीं है। फिर भी यदि कोई ऐसी बात सामने आती है, जो संत समाज की प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं हुई तो पदवी लेकर उन्हें अखाड़े से बाहर कर दिया जाएगा। 

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