मंसूर के तालिबानी चीफ बनने से ताजा हुए कंधार हमले के जख्म!

Edited By ,Updated: 03 Aug, 2015 05:29 PM

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दिसंबर 1991 के कंधार हाईजैक मामले में भारत को तीन बड़े आतंकी रिहा करने पड़े थे। अब रिसर्च एंड एनालिसिंग विंग यानी रॉ के पूर्व अफसर आनंद अर्णी ने दावा किया है

नई दिल्ली: दिसंबर 1991 के कंधार हाईजैक मामले में भारत को तीन बड़े आतंकी रिहा करने पड़े थे। अब रिसर्च एंड एनालिसिंग विंग यानी रॉ के पूर्व अफसर आनंद अर्णी ने दावा किया है कि जिन तीन आतंकियों को रिहा किया गया था, उनमें से एक मौलाना मसूद अजहर को जो शख्स कंधार एयरपोर्ट से अपनी कार में बैठाकर ले गया था, वह कोई और नहीं बल्कि मुल्ला अख्तर मंसूर था। मुल्ला मंसूर को मुल्ला उमर की मौत के बाद आतंकी संगठन तालिबान का नया चीफ बनाया गया है। 

रॉ के पूर्व अफसर आनंद अर्णी उस टीम में शामिल थे जो आतंकियों से बातचीत के लिए कंधार गई थी। अजहर के साथ मुश्ताक अहमद जरगर और उमर सईद शेख को भी रिहा किया गया था। उस समय अफगानिस्तान में तालिबान की ही सरकार थी और मंसूर उस सरकार में सिविल एविएशन मिनिस्टर था। 

एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में आनंद ने बताया, मंसूर उस दिन आंखों पर काला चश्मा लगाए कंधार एयरपोर्ट पर मौजूद था। जैसे ही मसूद अजहर को रिहा किया गया, मंसूर ने आगे बढ़कर अजहर को गले लगाया। इसके बाद मसूद मंसूर की कार में जाकर बैठ गया। आनंद के मुताबिक मंसूर के तालिबान चीफ बनने के बाद भारत के लिए कंधार की कड़वी यादें एक बार फिर ताजा हो गई हैं। मंसूर को पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई का काफी करीबी माना जाता है। वह क्वेटा शूरा का चीफ भी है जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में आता है।

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