हमारी ‘अर्थव्यवस्था तबाह करने के लिए’ पाकिस्तान भेज रहा ‘जाली करंसी’

Edited By ,Updated: 04 Aug, 2015 02:05 AM

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एक ओर जहां पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के समय से ही इसके शासकों ने भारत के विरुद्ध छद्म युद्ध छेड़ रखा है, वहीं भारत की अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के लिए वे लगातार जाली करंसी की तस्करी भी करवा रहे हैं।

एक ओर जहां पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के समय से ही इसके शासकों ने भारत के विरुद्ध छद्म युद्ध छेड़ रखा है, वहीं भारत की अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के लिए वे लगातार जाली करंसी की तस्करी भी करवा रहे हैं। 

नैशनल इंवैस्टीगेशन एजैंसी (एन.आई.ए.) के अनुसार भारतीय जाली करंसी के निर्माण व वितरण में पाकिस्तान का पूरा-पूरा हाथ है और पाकिस्तान की प्रैसों में अत्याधुनिक छपाई मशीनों पर भारतीय करंसी नोटों से हू-ब-हू मेल खाते अधिकांश 500 व 1000 रुपए के नोट छाप कर भारत भेजे जा रहे हैं। 
 
इंडियन स्टेटस्टिकल इंस्टीच्यूट (आई.एस.आई.) के अनुसार इस समय भारत में कम से कम 400 करोड़ रुपए की जाली करंसी चल रही है जबकि इसके विपरीत गुप्तचर एजैंसी आई.बी. के अनुसार यह आंकड़ा लगभग 2500 करोड़ का है। 
 
भारतीय रिजर्व बैंक की कानपुर शाखा के महाप्रबंधक डा. पी.के. ठाकुर के अनुसार देश में जाली करंसी की मात्रा बढ़कर 70 अरब से अधिक हो चुकी है। भारत में पहले से ही चल रही जाली करंसी में हर साल कम से कम 70 करोड़ रुपए की वृद्धि हो रही है। 
 
आई.एस.आई. के अनुसार 80 प्रतिशत जाली नोट एक्सिस बैंक, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक और एच.डी.एफ.सी. बैंकों ने पकड़े हैं। इसी वर्ष 17 जून को गुडग़ांव के सैक्टर-53 स्थित एच.डी.एफ.सी. बैंक की शाखा में 1 करोड़ 4 लाख 73 हजार 400 रुपए के जाली नोट पकड़े गए जिनमें अधिकांश नोट 500 और 1000 रुपए वाले थे।  
 
नोट छापने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विशेष प्रकार की स्याही और कागज केवल स्वायत्त देशों को ही दिया जाता है और ये जाली नोट अत्यधिक कीमती एवं अत्याधुनिक मशीनों पर छापे जाते हैं। 
 
भारत में सबसे अधिक जाली करंसी पाकिस्तान से ही सप्लाई होने संबंधी खुलासा होने के बाद इस पर चिंता व्यक्त करते हुए भारत सरकार के कैबिनेट सचिव ने 2014 में यूरोपीय संघ और इंगलैंड से शिकायत की थी जो पाकिस्तान को नोट छापने के लिए कागज और स्याही की आपूर्ति करते हैं। इनमें असली करंसी के लिए कागज बनाने में प्रयुक्त की जाने वाली 100 प्रतिशत ‘रैग’ की लुगदी इस्तेमाल की जाती है। 
 
जांच में सिवाय पाक के किसी अन्य देश की संलिप्तता इसमें नहीं पाई गई। नकली नोटों की जांच में पता चला कि इनमें इस्तेमाल होने वाली स्याही, कागज व अन्य कई विशेषताएं पाक मुद्रा से बिल्कुल मेल खाती हैं।
 
आमतौर पर असली एवं नकली नोट में 12 प्रकार के अंतर होते हैं। असली नोट 2 कागजों को आपस में चिपका कर बनाए जाते हैं जबकि नकली नोटों की छपाई एक ही कागज पर की जाती है।  गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, ‘‘हमें इस बात का विश्वास है कि भारत में अधिकांश जाली करंसी पाकिस्तान से ही आ रही है।’’  
 
देश में चल रही जाली करंसी की ठीक-ठीक जानकारी न होने पर आई.एस.आई. ने सुझाव दिया है कि जब्तशुदा या पता चलने वाले जाली नोटों की सही संख्या जानने के लिए कोई नया तरीका खोजा जाना चाहिए।  
 
कुछ समय पूर्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी स्वीकार किया था कि ‘‘देश में जाली मुद्रा एक बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है जो देश की अर्थव्यवस्था पर भी चोट कर रही है। हमें इसे पूरी तरह रोकना होगा।’’ 
 
अनेक पाश्चात्य देशों में करंसी की पड़ताल करने के लिए मशीनें लगी हुई हैं जिसमें डालने पर नकली करंसी उसी के भीतर नष्ट हो जाती है अत: हमारे यहां भी नकली मुद्रा की समस्या समाप्त करने के लिए पाश्चात्य देशों जैसी व्यवस्था करना आवश्यक है।
 

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