मनुष्य कभी भी मृत्यु का ग्रास बन जाता है ऐसे काम करने से

Edited By ,Updated: 20 Aug, 2015 08:48 AM

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मृत्यु जीवन का परम सत्य है। पुराणों के अनुसार किसी भी व्यक्ति की मृत्यु तभी तय हो जाती है जब वो जन्म लेता है। मृत्यु के विभिन्न कारण होते हैं लेकिन

मृत्यु जीवन का परम सत्य है। पुराणों के अनुसार किसी भी व्यक्ति की मृत्यु तभी तय हो जाती है जब वो जन्म लेता है। मृत्यु के विभिन्न कारण होते हैं लेकिन कुछ लोगों की अकस्मात ही मृत्यु हो जाती है। इस विषय पर आचार्य चाणक्य कहते हैं की जीवन में कुछ ऐसे काम होते हैं जिन्हें करने से व्यक्ति जल्दी ही मृत्यु का ग्रास बन जाता है अथवा अकस्मात ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।   

आचार्य चाणक्य के अनुसार-

आत्पद्वेषाद् भवेन्मृत्यु: परद्वेषाद् धनक्षय:।

राजद्वेषाद् भवेन्नाशो ब्रह्मद्वेषाद कुलक्षय:।।

अर्थात- व्यक्ति को सदा ऐसे कार्यों से अपना बचाव करना चाहिए, जिनसे उसे मृत्यु का भय बना रहता है।

आचार्य चाणक्य कहते हैं की राजा एवं शासन-प्रशासन के किसी भी व्यक्ति से दुश्मनी मोल नहीं लेनी चाहिए। ऐसा करने से जान का खतरा बना रहता है। जब तक आप सुदृढ़ स्थिती में न हों किसी भी उच्च अधिकारी से वैर न करें। उचित समय का इंतजार करें।

जो व्यक्ति सही ढंग से अपने शरीर का ध्यान नहीं रखता खान-पान के प्रति बेपरवाह रहता है। ऐसे लोग मृत्यु को खुला निमंत्रण देते हैं। निरोगी काया ही मनुष्य की सबसे बड़ी मित्र है और अस्वस्थ शरीर सबसे बड़ा शत्रु। 

अपने से अधिक बलशाली व्यक्ति से दुश्मनी तन और धन का नाश करती है। अपनी आत्मा से वैर भाव करने से कभी भी मृत्यु हो सकती है। ब्राह्मण अथवा विद्वान व्यक्ति से द्रोह करने पर कुल का ही पतन हो जाता है। 

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