Edited By ,Updated: 27 Aug, 2015 04:02 PM
एक पहलवान जैसा हट्टा-कट्टा, लंबा-चौड़ा व्यक्ति सामान लेकर किसी स्टेशन पर उतरा। उसने एक टैक्सी वाले से कहा कि मुझे मंदिर जाना है। टैक्सी वाले ने कहा 200 रुपए लगेंगे। उस पहलवान आदमी ने बुद्धिमानी दिखाते हुए कहा कि इतने पास के 200 रुपए,
एक पहलवान जैसा हट्टा-कट्टा, लंबा-चौड़ा व्यक्ति सामान लेकर किसी स्टेशन पर उतरा। उसने एक टैक्सी वाले से कहा कि मुझे मंदिर जाना है। टैक्सी वाले ने कहा 200 रुपए लगेंगे। उस पहलवान आदमी ने बुद्धिमानी दिखाते हुए कहा कि इतने पास के 200 रुपए, आप टैक्सी वाले तो लूट रहे हो। मैं अपना सामान खुद ही उठाकर चला जाऊंगा।
वह व्यक्ति काफी दूर तक सामान लेकर चलता रहा। कुछ देर बाद पुन: उसे वही टैक्सी वाला दिखा, अब उस आदमी ने फिर टैक्सी वाले से पूछा, भैया अब तो मैंने आधे से ज्यादा दूरी तय कर ली है तो अब आप कितने रुपए लेंगे?
टैक्सी वाले ने जवाब दिया 400 रुपए। उस आदमी ने फिर कहा, पहले 200 रुपए, अब 400 रुपए ऐसा क्यों। टैक्सी वाले ने जवाब दिया, महोदय इतनी देर से आप मंदिर की विपरीत दिशा में दौड़ लगा रहे हैं जबकि मंदिर तो दूसरी तरफ है।
उस पहलवान व्यक्ति ने कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप टैक्सी में बैठ गया। इसी तरह जिंदगी के कई मुकामों में हम किसी चीज को बिना गम्भीरता से सोचे सीधे काम शुरू कर देते हैं और फिर अपनी मेहनत और समय को बर्बाद कर उस काम को आधा ही करके छोड़ देते हैं।
किसी भी काम को हाथ में लेने से पहले पूरी तरह सोच-विचार लें कि क्या जो आप कर रहे हैं वह आपके लक्ष्य का हिस्सा है कि नहीं। हमेशा एक बात याद रखें कि दिशा सही होने पर ही मेहनत पूरा रंग लाती है और यदि दिशा ही गलत हो तो आपकी कितनी भी मेहनत का कोई लाभ नहीं मिल पाएगा। इसलिए दिशा तय करें और आगे बढ़ें, कामयाबी आपके हाथ जरूर थामेगी।