Edited By ,Updated: 27 Aug, 2015 04:28 PM
सभी जरूरी योग्यताएं, कौशल और डिग्रियां होने के बाद भी युवाओं को अपनी पसंदीदा नौकरी नहीं मिल पाती तो कई बार व्यापार, नौकरी में मनोनुकूल फल प्राप्ति नहीं हो पाती तो ऐसे में आप श्रीरामायण में
सभी जरूरी योग्यताएं, कौशल और डिग्रियां होने के बाद भी युवाओं को अपनी पसंदीदा नौकरी नहीं मिल पाती तो कई बार व्यापार, नौकरी में मनोनुकूल फल प्राप्ति नहीं हो पाती तो ऐसे में आप श्रीरामायण में वर्णित मंत्र का नियमित जाप करेंगे तो सुख और आनन्द भोगेंगे जैसे बड़े जलाशय की मछलियां हमेशा सुखी रहती हैं, उसी तरह श्रीराम की शरण में गए व्यक्ति के सामने कोई भी बाधा नहीं आती। यह 'बालकांड' की चौपाई है।
मंत्र : 'बिस्व भरन पोषन कर जोई, ताकर नाम भरत अस होई'
अर्थात जो सारे संसार का भरण-पोषण कर रहे हैं, उनका नाम भरत होगा।
राम जी के प्रिय छोटे भाई भरत का नाम लेने या स्मरण करने से मनचाही नौकरी प्राप्त होती है। भरत ने चौदह वर्षों तक भोजन, वस्त्र, बर्तन, व्रत, नियम आदि को ऋषियों की तरह कठोरता के साथ अपनाया। उन्होंने राजा राम की धरोहर के रूप में प्रजा की सेवा की। भारत के जनमन को सीख प्रदान करी धन-दौलत, अहंकार और विद्वेष के नशे के साथ कोई भी भाई, भाई को हृदयपूर्वक गले नहीं लगा सकता।